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एडवांटेज ई-मुशायरा सीरीज-3 सफलतापूर्वक सम्पन्न, शायरों ने जीता प्रशंसकों का दिल

पटना (जागता हिंदुस्तान) एडवांटेज लिटरेरी फेस्टिवल और अदबी संगम, नई दिल्ली ने 28 जून को शाम 7.30 बजे से रात 10 बजे तक डिजिटल प्लेटफॉर्म जूम पर एडवांटेज इंटरनेशनल ई-मुशायरा का आयोजन किया।अंतर्राष्ट्रीय मुशायरा में, खुशबीर सिंह शाद, डॉ असीम वस्ती, मदन मोहन दानिश, डॉ. नदीम शाद, अलीना शादाब, मोईन शादाब ने अपने काव्यों का पाठ किया और श्रोताओं से खूब प्रशंसा प्राप्त की। एडवांटेज लिटरेरी फेस्टिवल और अदबी संगम , नई दिल्ली द्वारा आयोजित यह मुशायरा ऐतिहासिक साबित हुआ। उस्ताद कवियों ने ज़ूम प्लेटफॉर्म पर पूरी दुनिया में उर्दू प्रशंसकों का दिल जीता। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ज़ूम प्लेटफॉर्म पर आयोजित मुशायरा को न केवल विश्व स्तर पर देखा गया था, बल्कि कवियों को लाइव वाह और टिप्पणी बॉक्स में बहुत प्रोत्साहित किया गया था।
एडवांटेज इंटरनेशनल ई-मुशायरा-3 की शुरुआत विशिष्ट अतिथि के रूप में क़ौमी तंज़ीम के प्रधान संपादक एसएम अशरफ फरीद के स्वागत भाषण से हुई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी खतरनाक महामारी के इस युग में, परेशान मानवता के मन की शांति के लिए एडवांटेज लिटरेरी फेस्टिवल द्वारा उठाये गए क़दम सराहनीय हैं।
मैं एडवांटेज सपोर्ट के अध्यक्ष डॉ अहमद अब्दुल हई और सचिव खुर्शीद अहमद और उनकी कोर टीम के सभी सदस्यों के प्रयासों की भी सराहना करता हूं। हालाँकि आज की अंतर्राष्ट्रीय मुशायरा में शामिल कवि प्रसिद्ध और सम्मानित हैं। कवियों की खूबी यह है कि वे सबसे बड़ी बात को एक कविता में रखते हैं और उनके शब्दों के बारे में एक तरह से जानते हैं जिसका सार्वजनिक प्रभाव होता है। हम जिस शहर में रहते हैं उसका नाम अज़ीमाबाद है। अज़ीमाबाद का दबीस्तान उर्दू में भी महत्वपूर्ण स्थान है। शाद अजीमाबादी, बिस्मल अजीमाबादी, अल्लामा जमील मज़हरी, डॉ. कलीम आजिज़ जैसे महत्वपूर्ण और सम्मानित कवियों ने उर्दू दुनिया में अपनी प्रतिभा साबित की। उर्दू भाषा और साहित्य ने हर युग में समाज में हो रहे परिवर्तनों और क्रांतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिस तरह से मानवता इस उम्र में हर तरफ से डरी और सहमी हुई है, मुझे उम्मीद है कि आज की मुशायरा में बोले गए शब्द उस डर को कहीं दूर करने में मदद करेंगे। खुशबीर सिंह शाद साहब गंगा और जमनी सभ्यता के अग्रणी रहे हैं। उनकी अध्यक्षता में यह अंतर्राष्ट्रीय कविता समारोह बहुत यादगार साबित होगा। कविता में आनंद, प्रेम और आनंद एक अनोखी बात है। उर्दू कविता का अजीमाबाद के साथ एक लंबा संबंध है। लखनऊ, दिल्ली और हैदराबाद के साथ-साथ अजीमाबाद भी इस मामले में भारी रहा है। उन्होंने बिस्मल अज़ीमाबादी, शाद अज़ीमाबादी, अल्लामा जमील मज़हरी, डॉ. कलीम आजिज़ की काव्य सेवाओं को उर्दू भाषा और साहित्य की महान संपत्ति बताया।

डीडी बिहार की एंकर शादमा हसन ने शानदार तरीके से इस मुशायरा की एंकरिंग की। मोमबत्ती जलाकर मुशायरा की शुरुआत की और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कोरोना वारियर्स को प्रोत्साहित किया। मोइन शादाब ने इसे शानदार ढंग से संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन कोर कमेटी के सदस्य एजाज हुसैन ने दिया। शादमा ने संचालक और कवि मोइन शादाब की परिचयात्मक टिप्पणियों के बाद इस अद्भुत एडवांटेज ई-मुशायरा को एक अनोखे तरीके से संचालित करते हुए अपना अद्भुत भाषण प्रस्तुत किया। मोइन शादाब ने कुछ इस तरह कहा-

कभी आवाज़ ऊँची हो गयी थी बेख्याली में,
न उस के बाद हमने जेब तन फिर शेरवानी की”
न देखी जाती थी फ़ाक़ाकशी हम से अंधेरो की
चरागों ने हमारे फिर हवा की मेज़बानी की
मोईन शादाब

लोग अफसाना समझ कर रहे
दर हकीकत हूँ हकीकत से बनाई हुई मैं
मेरी आँखों में समाया हुआ कोई चेहरा
इस चेहरे की आँखों में समायी हुई मैं
अलीना इतरत

शोर कब तलक मचाएगा आखिर
चढ़ता दरिया उतर ही जाएगा
थोड़ी हिम्मत रखो बुरा ही सही
वक़्त यह भी गुज़र जायेगा
डॉ. नदीम शाद

खुद से मिलने के मौक़ा चुराते रहो
जश्न तन्हाइयो का मनाते रहो
रौनकें सब की सब अंदर भी है
अपने अंदर भी मेला लगते रहो
मदन मोहन दानिश

तुम इंतज़ार के लम्हे शुमार मत करना
दीये जलाये न रखना सिंगार मत करना
इस क़द्र अपने खुदा पे भरोसा मुझ को
बस कोई ज़रुरत होगी पूरा कर देगा
डॉ. आसिम वास्ती

पहले मुझे तन्हाई ही ने एक गीत सुनाया
फिर सब ने सुनाया मुझे अफसाना उदासी
ग़म ने कहा किया शक्ल बना रखी है तू ने
मर्दो पे भली लगती है ये मरदाना उदासी
खुशबीर सिंह शाद

एडवांटेज सपोर्ट के सचिव खुर्शीद अहमद ने कहा कि चूंकि कोरोना के चलते तालाबंदी लगा हुआ था ऐसे में हमने मुशायरा आयोजित कर लोगों को मानसिक शांति देने की कोशिश की है। यह ई-मुशायरा बहुत सफल रही। यह हमारी टीम के विचार से अधिक सफल हुआ।

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ई-मुशायरा इसकी आठवाँ कड़ी है। एडवांटेज सपोर्ट ने साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जुलाई 2019 में एक साहित्यिक समारोह का शुभारंभ किया। इस एपिसोड में पहली बार एक महान अमेरिकी लेखक, कवि और गीतकार फरहत शहजाद ने भाग लिया था। दूसरे एपिसोड में, बॉलीवुड लेखक, कवि और गीतकार ए.एम. तराज़ ने पटना के लोगों के साथ साहित्य और सभ्यता के बारे में विस्तृत चर्चा की। तीसरे एपिसोड में, बॉलीवुड कलाकार मनोज मुन्तशिर ने पटना के लोगों का दिल जीत लिया।

हम अगले 2 महीनों के लिए इस आभासी कार्यक्रम को बंद कर रहे हैं, लेकिन हम अलग-अलग प्रारूपों पर काम कर रहे हैं। साहित्यिक त्योहार का लाभ बेहतर और सुंदर अभिव्यक्ति के साथ मिलेगा।

31 मई, 2020 – ई-मुशायरा श्रृंखला 2, 7 जून, 2020 – कव्वाली, 14 जून 2020 – स्टाइल, स्टेटमेंट, 21 जून 2020 – महफिल ए ग़ज़ल, 28 जून 2020 – ई मुशायरा सीरीज़ 3, मीडियम जिसका इस्तेमाल हमने इस त्योहार के लिए किया हैः ज़ूम लाइव, फेसबुक लाइव, यूट्यूब लाइव, समाचार पोर्टल, समाचार पत्र, टीवी चैनल, इंस्टाग्राम, ट्विटर। उन्होंने कहा कि 23 कलाकारों और 5 एंकरों ने चार सप्ताह में प्रदर्शन किया। 41,000 दर्शकों में से 3.8 मिलियन तक पहुंचना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एडवांटेज लिटरेरी फेस्टिवल कोर कमेटी के सदस्य फैजान अहमद, ओबेदुर रहमान, फहीम अहमद, डॉ. वकार अहमद, अहमद साद, एजाज हुसैन, शिव चतुर्वेदी, अनवर जमाल, षोमेला तहजीब, अनवारूल होदा, अध्यक्ष डाॅ. ए.ए. हई तथा सचिव खुर्षीद अहमद की देखरेख में आयोजन की तैयारी कर रहे हैं।
एडवांटेज लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन करने वाली कंपनी एडवांटेज सपोर्ट एडवांटेज ग्रुप की सी.एस.आर कंपनी है। इस कंपनी के ट्रस्टी डॉ. ए.ए. हई, डॉ. रंजना कुमारी, संजीव बोस, राजीव सोनी, संजय सलिल, खुर्शीद अहमद, सैयद सुलतान अहमद, राजीव रंजन, ओवी शेलवेन, सैयद सबा करीम और चंद्रमणि सिंह हैं।

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