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AISF ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, सभी परीक्षा पर रोक लगाने की मांग

पटना (जागता हिंदुस्तान) ऑल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) ने कुलाधिपति सह राज्यपाल फागु चौहान एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेज कोरोना आपदा के वक़्त में किसी भी प्रकार की परीक्षा लिए जाने पर रोक लगाने की माँग की है।

राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार एवं राज्य अध्यक्ष रंजीत पंडित ने कहा है कि अपना सूबा बिहार भी इस महामारी के बुरी तरह चपेट में है। कोरोना योद्धा डॉक्टर व पुलिसकर्मी भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। इस महामारी की तीव्र रफ्तार में फैलने की भयावहता हम सबको चिंतित कर रही है। वैसी स्थिति में राज्य के अंदर परीक्षा ले पाना किसी अनहोनी को आमंत्रित करने जैसा है। किसी एक विद्यार्थी के भी इस महामारी से अंजाने में भी संक्रमित होने से उक्त परीक्षा केंद्र के अन्य विद्यार्थी, शिक्षक एवं कर्मियों को संक्रमित होने का खतरा बरकरार रहेगा।

एआईएसएफ नेताओं ने कहा कि आप अवगत हैं कि अधिकांश पाठ्यक्रमों में सिलेबस पूरा नहीं हो पाया है। महामारी के फैलने की आशंका में किए गए लॉक डाउन में राजधानी पटना व जिला मुख्यालयों से कुछ विद्यार्थी काफी मुश्किलों को सामना कर अपने घर पहुंचे। जबकि अधिकांश होली की छुट्टियों में हीं घर गए तो लौटकर नहीं आ पाए। घर जाते वक़्त वे पुस्तकें भी नहीं ले जा पाए थे।
छात्र नेताओं ने कहा है कि यूजीसी की गाइडलाइन में सिर्फ फाइनल ईयर/सेमेस्टर की परीक्षा लेने व शेष विद्यार्थियों को बिना परीक्षा लिए हीं पिछले अंक को आधार बनाते हुए प्रोन्नत करने की जानकारी है। इसी को आधार बनाते हुए सिर्फ फाइनल ईयर/सेमेस्टर की परीक्षा फिजिकल डिस्टेंसिंग व अन्य सुरक्षा मानकों को ख्याल करते हुए लिया जाए या मौजूदा स्थिति का आकलन कर हीं लिया जाए। हालांकि विद्यार्थियों को जनरल प्रमोशन और औसत मार्किंग में विद्यार्थियों को हीं बड़ा नुकसान है। इसको मद्देनजर रखते हुए इम्प्रूवमेंट परीक्षा का विकल्प,वैकल्पिक रूप से रखा जाए। उन दोनों अंक में से जो अधिकतम हो उसे हीं
मान लिया जाए।

एआईएसएफ ने भेजे गए पत्र में कहा कि ऑनलाइन परीक्षा की भी बात विमर्श में है लेकिन बिहार जैसे राज्य के व्यवहारिक परेशानियों यथा लैपटॉप, स्मार्टफोन व इंटरनेट कनेक्शन की अनुपलब्धता को देखते हुए इसे जमीनी तौर पर लागू कर पाना नामुमकिन जैसा है। एआईएसएफ ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से पूरी परिस्थिति पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए छात्र-शिक्षक-कर्मियों के सुरक्षा के लिहाज से एवं राज्य हित में परीक्षा लेने पर रोक लगाने,सिर्फ फाइनल ईयर/सेमेस्टर की परीक्षा तमाम सुरक्षा मानकों के साथ लिया जाए और स्थिति सामान्य होने पर इम्प्रूवमेंट परीक्षा का विकल्प,वैकल्पिक तौर पर रखने की बात उठाई है।

एआईएसएफ नेताओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस आपदा की घड़ी में जब अभिभावकों की जेब खाली है।पटना विश्वविद्यालय सहित कई विश्वविद्यालयों में बेतहाशा शुल्क वृद्धि हुई है। इसे अविलंब वापस लिया जाए। मौजूदा स्थिति में नामांकित सभी विद्यार्थियों के शुल्क इस बार माफ किए जाएं। छात्राओं एवं एससी-एसटी के छात्रों के शुल्क पहले से हीं माफ हैं। इस अवधि में विश्वविद्यालयों को होने वाली आर्थिक क्षति की भरपाई सरकार से करने की भी माँग किया है।

वहीं मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में एआईएसएफ नेताओं ने जोर दिया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वहाँ की स्थिति का आकलन व संभावित खतरों को देखते हुए फाइनल ईयर/सेमेस्टर की परीक्षा लेने से इंकार किया है उसको देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री भी कोई फैसला शीघ्र लें।

पत्र लिखे जाने के पूर्व एआईएसएफ की राज्य सचिवमंडल की बैठक ऑडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई, जिसमें पत्र भेजे जाने का निर्णय लिया गया। बैठक में एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव, राज्य अध्यक्ष के अतिरिक्त राज्य उपाध्यक्ष अमीन हमजा, हर्षवर्द्धन सिंह राठौड़, राहुल कुमार यादव, राज्य सह सचिव विकास झा, कुमार जितेन्द्र एवं राज्य सचिवमंडल सदस्य सरिता कुमारी भी शामिल थी।

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