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कन्हैया पर देशद्रोह के मुकदमे की मंजूरी चुनावी स्टंट- AISF

पटना (जागता हिंदुस्तान) जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा चलाए जाने को एआईएसएफ ने बिहार विधानसभा के ठीक पहले का चुनावी स्टंट करार दिया है। पटना में बयान जारी करते हुए एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार ने कहा कि जन गण मन यात्रा की अपार सफलता से घबरा कर एवं व्यापक जनांदोलन के दबाव में एनडीए शासित बिहार पहला राज्य है जहाँ एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है। मुकदमे के 90 दिनों के चार्जशीट फाइल करना होता है। लेकिन केन्द्र सरकार के अधीन कार्यरत दिल्ली पुलिस ने 9 फरवरी 2016 के केस की चार्जशीट लगभग तीन साल बाद, 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले दाखिल किया। राजद्रोह के मामले में राज्य सरकार की अनुमति के बिना उस वक्त भी हड़बड़ी में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था और कोर्ट के फटकार के बाद मामले पर रोक लगी थी, जबकि आतंकियों के साथ देते पकड़े गए डीएसपी देवेंद्र सिंह पर राजद्रोह का मुकदमा नहीं किया गया।

एआईएसएफ के राज्य अध्यक्ष रंजीत पंडित ने कहा कि तमाम संवैधानिक संस्थाओं को कठपुतली बनाने की आरएसएस व बीजेपी ने मंशा पाल रखी है।दिल्ली हिंसा पर सख्त तेवर दिखाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर का मामले की सुनवाई से ठीक पहले तबादला कर दिया जाता है। वहीं डॉ. कफील खान की जमानत होने के बावजूद उन्हें रिहाई से रोका गया।

एआईएसएफ नेताओं ने कहा कि कन्हैया कुमार के मसले में झूठे दावे की पोल खुलनी तय है। कन्हैया को जबरन फंसाने के षड्यंत्र के खिलाफ एवं संवैधानिक संस्थाओं को कठपुतली के खिलाफ 2 मार्च को राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाने का आह्वान करते हुए तमाम अमन- न्याय पसंद,धर्मनिरपेक्ष एवं वाम-जनवादी ताक़तों से सड़क पर उतर विरोध का आह्वान किया है।

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