HEALTH

पारस हॉस्पिटल में वर्ल्ड स्पाइन-डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन


• स्पाइन से जुड़ी समस्याओं और उसके उपचार को लेकर लोगों को किया जागरूक
• 95 प्रतिशत मामलों में स्पाइन का ऑपरेशन सफल: डॉ. गौतम आर प्रसाद

पटना। वर्ल्ड स्पाइन डे की पूर्व संध्या पर शनिवार को पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल, पटना में स्पाइन( रीढ़) से जुड़ी समस्याओं और उसके उपचार को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें स्पाइन से जुड़ी बीमारियों और उनसे कैसे बचा जाय, इसपर डॉक्टरों ने जानकारी साझा की। कार्यक्रम में लोगों को व्यायाम की विधियां बताकर उन्हें फिट रहने के तरीके भी बताए गए। इस जागरूकता कार्यक्रम में स्पाइन से जुड़ी समस्याओं से मुक्त हो चुके मरीजों ने भी अपनी बातें रखीं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन से पहले और ऑपरेशन के बाद उनका क्या अनुभव रहा।

स्पाइन की परेशानियों के बारे में जानकारी साझा करते हुए कंसल्टेंट स्पाइन सर्जन डॉ. गौतम आर प्रसाद ने बताया कि स्पाइन के इलाज को लेकर ज्यादातर लोगों में यह भ्रम है कि इसका ऑपरेशन सफल नहीं होता है, इससे पैरालाइसिस हो जाता है, आदमी चल नहीं पाता है। जबकि आज के समय में 95 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में स्पाइन का ऑपरेशन सफल रहता है। आजकल तकनीक ने काम आसान और सटीक कर दिया है। वहीं सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. एए हई के मुताबिक स्पाइन की समस्याओं में कमर का दर्द, गर्दन का दर्द या ज्यादातर लाइफ स्टाइल से जुड़ी परेशानियां रहती हैं। लाइफ स्टाइल में कुछ बदलाव करके इससे बचा जा सकता है। जैसे-सही से बैठना, मोबाइल का सही से इस्तेमाल करना, नियंत्रित वजन और व्यायाम करना आदि। उन्होंने कहा कि इसमें अगर ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है तो घबराने की जरूरत नहीं है।

इस कार्यक्रम में पारस हॉस्पिटल के फिजियोथैरेपिस्ट टीम भी मौजूद रही। टीम ने व्यायाम के तरीके और इसके फायदे बताए।

कैसे समझें स्पाइन की समस्याएं:
स्पाइन की समस्याओं में साइटिका की बीमारी, नंबर कैनाल स्टोइनिस, सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस, सर्वाइकल मुएलोपैथी, बोन टीवी, फ्रैक्चर स्पाइन, हड्डी में टेढ़ापन, बोन टयूमर आदि शामिल हैं। इनमें अधिकतर चीजों का इलाज संभव है। हाथ-पैर में झुनझुनी होना, पीठ या कमर में दर्द होना, चलने की क्षमता कम होते जाना, हाथ और उंगलियों की पकड़ कमजोर होने लगना, चलते-चलते पैरों का लड़खड़ा जाना और गिर जाना आदि इसके लक्षण हैं। बोन ट्यूमर में असहनीय दर्द होती है नींद उड़ जाती है, वजन कम हो जाता है, भूख कम लगने लगती है।
मौके पर पारस हॉस्पिटल के रीजनल डायरेक्टर डॉ. सुहाष आराध्ये ने कहा कि इस जागरूकता कार्यक्रम को करने के पीछे हमारा यह उद्देश्य है कि लोगों को लक्षण और उनके इलाज के बारे मे ज्यादा से ज्यादा पता हो ताकि लोग अपना ध्यान शुरू से ही रख सके और उन्हे बड़ी समस्या से न गुजरना पड़े।

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