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जीवन का सुंदर संतुलन है हार्मोन, असंतुलन से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां- पारस हॉस्पिटल

पटना (जागता हिंदुस्तान) पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल, राजा बाजार पटना के कंसल्टेंट इंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ. नीरज सिन्हा ने जीवन में हार्मोन की महत्ता बताई। उन्होंने बताया कि हार्मोन शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा से हुई और इसका अर्थ है गति देना। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन की प्रत्येक अवस्था मे शरीर की अंदरूनी कार्यप्रणाली सुचारू रूप से चले, उसकी सही गति हो, इसकी व्यवस्था हार्मोन करते हैं।

डॉ. सिन्हा ने बताया कि हार्मोन्स जीवन में संतुलन देते हैं और जब खुद हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाए तो जीवन में गतिरोध उत्पन्न होते हैं और विभिन्न प्रकार के रोगों से जूझना पड़ता है।

हार्मोन्स के असंतुलन से होने वाली प्रमुख बीमारियां:-

  1. मधुमेह :- रक्त में शर्करा की मात्रा निरंतर अधिक होने की अवस्था को मधुमेह कहते हैं। यह बीमारी इन्सुलिन हार्मोन की कमी अथवा इन्सुलिन प्रतिरोध से होता है। बच्चों में इन्सुलिन हार्मोन पैनक्रियाज नामक ग्रंथि से निकलता है। बच्चों मे होने वाले मधुमेह की चिकित्सा इन्सुलिन से की जाती है। व्यस्को मे होने वाले मधुमेह मे दवाइयां एवं इन्सुलिन दोनो उपयोगी है।
  2. थायरॉयड :- थायरॉयड हार्मोन का जीवन मे व्यापक असर है। थायरॉयड की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु पर असर पड़ता है, बच्चो का शारीरिक एवं मानसिक विकास रूक सा जाता है। महिलाओं मे मासिक धर्म की समस्या उत्पन्न होते हैं। थायरॉयड हार्मोन की कमी के अन्य लक्षण हैं आलस्य भाव आना, अधिक ठंडा लगना, वजन बढ़ना। थायरॉयड हार्मोन की अधिकता से गर्मी अधिक लगती है, देह में कंपन होती है और दिल की धड़कने तेज हो जाती है।
  3. लम्बाई न बढ़ना :- ग्रोथ हार्मोन की कमी अथवा अन्य कारणों से बच्चों का उम्र के साथ कद नही बढ़ता है।
  4. मोटा होना :- मोटा होने के पीछे भी हार्मोन की अनियमितता हो सकती है। कुछ खास कारणों से मोटापा हो तो उसका निदान संभव है अथवा उचित खान पान एवं व्यायाम से मोटापा कम किया जा सकता है।
  5. माहवारी की समस्या :- नवयुवतियों एवं महिलाओं में होने वाली माहवारी समस्या पीसीओडी भी हो सकती है। यदि माहवारी की समस्या के साथ चेहरे पे बाल आ जाऐ या अधिक मुंहासे आए तो इंडोक्रिनोलोजिस्ट से संपर्क कर आवश्यक जांच कराएं।
  6. सेक्सुअल समस्या एवं निःसंतानता :- महिलाओं एवं पुरूशों में होने वाले सेक्सुअल समस्याएं हार्मोन की अनियमितता से हो सकती है। यह अनेक बार निःसंतानता का प्रमुख कारण बन जाते हैं। उचित चिकित्सा से इसका समाधान संभव है।
  7. हड्डी का कमजोर होना :- बुजुर्गों में, खासकर महिलाओं मे, हड्डी के कमजोर होने का खतरा होता है। इसे ओस्टियोपोरोसिस कहते हैं। विशिष्ट हार्मोनल इलाज से हड्डी को और कमजोर होने एवं टूटने से बचाया जा सकता है।

मधुमेह, थायरॉयड एवं हार्मोन रेग विषेशज्ञ डॉ. नीरज सिन्हा ने इस तरह बताया कि हार्मोन जीवन के प्रत्येक अवस्था में अपना प्रभाव छोड़ते हैं। हार्मोन के असंतुलन को ठीक करके हम अपने जीवन को वापस सुंदर एवं सुखद गति प्रदान कर सकते हैं।

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