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चमकी बुखार को लेकर सरकार ने कसी कमर, NIMHANS के साथ MoU पर किया हस्ताक्षर

पटना (जागता हिंदुस्तान) पिछले वर्ष मुजफ्फरपुर समेत बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार से हुई मासूम बच्चों की मौत के बाद चौतरफा घिरी बिहार सरकार ने इस बार पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। चमकी बुखार और जापानी इंसेफेलाइटिस को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। एईएस पर प्रभावी निगरानी हेतु स्वास्थ्य विभाग एवं डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोवायरोलॉजी निमहान्स, बेंगलुरु के बीच शनिवार को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि इस करार के तहत निमहान्स राज्य के जिला अस्पतालों में एईएस मरीजों की जांच के लिए लेवल-1 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण में सहयोग प्रदान करेगी। साथ ही दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में राज्य स्तरीय लेवल-2 प्रयोगशाला की स्थापना में भी सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि राज्य स्तरीय नोडल प्रयोगशाला की स्थापना का निर्णय निमहान्स द्वारा गैप असेसमेंट के उपरांत की जाएगी। निबंध एवं केयर इंडिया द्वारा चिन्हित जिला अस्पतालों का विश्लेषण किया जाएगा जिससे एईएस से निपटने की समुचित तैयारी हो सके। संजय कुमार ने बताया कि साथ ही निमहंस एवं केयर इंडिया एईएस के बेहतर निगरानी को लेकर जिला अस्पतालों के प्रयोगशालाओं को सुझाव भी देंगे। इनके द्वारा चिन्हित अस्पतालों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला/उन्मुखीकरण का भी आयोजन किया जाएगा इसके लिए चिन्हित अस्पतालों के कर्मियों का क्षमता वर्धन किया जाएगा। खाद विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि यह है वित्तीय ज्ञापन होगा, जो 15 फरवरी 2020 से 30 सितंबर 2020 तक मान्य होगा। एईएस पर प्रभावी निगरानी के लिए निमहान्स अपना तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी। संजय कुमार ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कई स्तर पर काम किया जा रहा है। इसके लिए अस्पताल को भी पहले से तैयार रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि चमकी बुखार कोई नई बीमारी नहीं है। 2006 से ही इसके मामले सामने आ रहे हैं। लिहाजा इस बीमारी को लेकर लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। संजय कुमार ने कहा कि पिछले साल के मामलों में कोई एक वजह सामने नहीं आई। जो बच्चे बीमार पड़े उनमें से कुछ ने लीची का प्रयोग किया था तो कुछ नहीं भी किया था। कुछ कुछ बच्चों ने खाना नहीं खाया था तो कुछ नहीं खाना खाया भी था। संजय कुमार ने कहा कि इस बार हम लोग बेहतर तैयार रहेंगे।

वहीं इस संबंध में निमहान्स के डॉक्टर बी रवि ने बताया की पूरी दुनिया में एईएस के 40% मामले की पहचान नहीं हो पाती है। उन्होंने बताया कि मई के आखिर में इंसेफेलाइटिस के मामले सामने आते हैं, लिहाजा अप्रैल के महीने से ही निगरानी शुरू कर इसके कारणों का पता लगाने की कोशिश की जाएगी ताकि इससे निपटने में आसानी हो सके। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के एक या अनेक कारण हो सकते हैं। इसके साथ ही डॉ. रवि ने कहा कि बिहार में ही जांच की सुविधा स्थापित करना लक्ष्य है क्योंकि हर सैंपल को बेंगलुरु ले जाना संभव नहीं। उन्होंने कहा कि निमहान्स इस मामले में क्वालिटी सपोर्ट देगा।
बता दें कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार भारत में गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इसकी पुष्टि के लिए सीरम या सेरेब्रॉस्पाइनल फ्लुएड की लेबोरेटरी में मानकीकृत जांच जरूरी मानी जाती है। समझौता ज्ञापन के तहत निमहान्स ने पूरे राज्य में एईएस पीड़ितों के बेहतर उपचार के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रयोगशालाओं की स्थापना एवं एईएस की बेहतर निगरानी के लिए राज्य सरकार को सहयोग प्रदान करने की सहमति व्यक्त की है।

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