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बीपी एक साइलेंट किलर है, इसकी नियमित जांच है जरुरी- डॉ. अजय कुमार सिन्हा

पटना (जागता हिंदुस्तान) आज के समय में खराब जीवनशैली, मानसिक तनाव, ज्यादा नमक का सेवन करने आदि कारणों से बीपी की बीमारी तेजी से बढ़ी है। बीपी कई दूसरी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। मरीज अगर इसकी दवाएं न लें या लापरवाही बरते तो हाइपरटेंशन या बीपी जानलेवा साबित होता है। इसलिए इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये बातें वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे की पूर्व संध्या पर मेदांता अस्पताल पटना के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अजय कुमार सिन्हा ने कही।

उन्होंने कहा कि हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्लड अपनी सामान्य गति से तेज होकर अधिक तीव्र गति से प्रवाहित होने लगता है। जिससे रक्त नलियों और इससे जुड़ें रहने के कारण शरीर के सभी अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा देखा जाता है कि जितनी तीव्र गति से रक्त प्रवाहित होता है उतना ही अधिक रक्त नलियों पर जोर पड़ता है। बीपी दो प्रकार का होता है उच्च और अल्प रक्तचाप। इसमें उच्च रक्तचाप हृदय सहित सभी अंगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।

शुरुआती दिनों में नहीं दिखते कोई लक्षण
बीपी की समस्या को लेकर मेदांता अस्पताल पटना के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अजय कुमार सिन्हा कहते हैं कि शुरुआती दौर में यह बीमारी लक्षण रहित होती है। इसलिए ही इसकी नियमित जांच की जरूरत है। शुरुआत में लक्षण भले ही नहीं दिखें लेकिन धीरे-धीरे यह हार्ट, ब्रेन , किडनी, आंखे आदि को खराब कर देती है। लक्षण तब प्रकट होते है जब ये अंग खराब होकर दिक्कतें पैदा करते है। जैसे- सांस फूलना, सर दर्द होना, स्ट्रोक होना या ज्यादा समस्या बढ़ने पर लकवा होना, अंधापन और किडनी रोग आदि। इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। किडनी की बीमारी बहुत बाद में होती है लेकिन तब तक इतनी देर हो जाती है कि इसे रोकना या पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं होता। उन्होंने बताया कि हार्ट के मरीजों के लिए ब्लड प्रेशर का नियंत्रित रहना सबसे महत्वपूर्ण है। इसे नियंत्रित कर के अपने हार्ट को बचा सकते है।

बीपी कंट्रोल की अच्छी दवाएं हैं उपलब्ध
डॉ अजय कुमार सिन्हा की कहते हैं कि ब्लड प्रेशर की बहुत अच्छी दवाइयां बाजार में मौजूद है और ये ज्यादा महंगी भी नहीं है। समय पर हाई ब्लड प्रेशर का पता चलने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। दवाएं कभी गलती से खाना भूल जाएं तो तनाव नहीं लें, अगले दिन से नियमित कर लें। तनाव ब्लड प्रेशर के मरीजों लिए ज्यादा घातक है। भारत और विश्व में करीब एक तिहाई व्यस्क हाइपर टेंशन से पीड़ित है। भारत में जागरूकता की कमी के कारण नियंत्रित हाइपर टेंशन मात्र 12 से 13 प्रतिशत मरीजों में ही है।

130/80 बीपी है सामान्य, इससे अधिक न बढ़ने दें
एक स्वस्थ्य व्यक्ति का बीपी 130/80 होना चाहिए। जो लोग 60 वर्ष से ज्यादा है उनके लिए थोड़ी छूट है, उन्हें 150/ 80 होने पर भी दवा नहीं दी जाती है। लेकिन यदि जीवनशैली ठीक है, नमक का सेवन भी कम किया गया फिर भी यदि बीपी 140/ 90 रहे तो आपको नियमित दवा खानी होती है।

खानपान और जीवनशैली में सुधार लाकर बच सकते हैं हाई बीपी से
इससे बचने के लिए खानपान में तीन चीजों का ध्यान रखें। सबसे पहले नमक कम से कम खाएं। दूसरा सेचुरेटेट फैट और तीसरा जंक फूड का सेवन न करें। जहां तक हो फल की मात्रा खाने में बढ़ाएं और नमक या सोडियम की मात्रा कम करें। पोटैशियम की मात्रा बढ़ाएं। पोटैशियम नारियल पानी, नींबू, संतरा आदि रसदार फलों में पाया जाता है। जीवनशैली ठीक रखें, तनाव से दूर रहें, संतुलित आहार लें, व्यायाम करें प्रणायाम करें, यहीं बीपी से बचने का मूल मंत्र है।

मेदांता पटना में मौजूद है बेहतर इलाज
डॉ अजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मेदांता अस्पताल पटना में बीपी के मरीजों की जांच से लेकर इलाज तक की अच्छी सुविधा है, यहां अच्छे अनुभवी डॉक्टरों की टीम काम करती है। मेडिसीन ,कार्डियों आदि विभागों में भी इसका इलाज किया जाता है। मेदांता अस्पताल पटना की ओपीडी में आकर बीपी के मरीज अनुभवी डॉक्टरों से परामर्श लें सकते हैं।

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