कोरोना से लड़ाई में अंग्रेजों के कानून का प्रयोग कर रहा केंद्र, संघीय व्यवस्था में यह व्यवहारिक नहीं- शिवानंद
पटना (जागता हिंदुस्तान) कोरोना महामारी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन का निर्णय करने एवं सभी राज्यों को अपने मुताबिक दिशा निर्देश देने और जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में विभाजित करने के मामले को लेकर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व राज्यसभा सांसद शिवानंद तिवारी ने बड़ी बात कही है।
उन्होंने कहा है कि भारत विशाल देश है। इसलिये कोरोना जैसी महामारी का मुकाबला यहाँ केंद्रित ढंग से संचालित करना व्यवहारिक नहीं है। हमारे संविधान में नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल का जिम्मा राज्यों को दिया गया है, लेकिन महामारी का मुकाबला करने के लिए अंग्रेजों के जमाने के बने कानून का प्रयोग कर केंद्र सरकार ने राज्यों के सारे अधिकार अपने हाथ में ले लिया है।
शिवानंद तिवारी ने कहा कि प्लेग जैसे महामारी का मुकाबला करने के लिए अंग्रेजों ने यह कानून 1897 में बनाया था। यह अति केंद्रित कानून है, लेकिन आज हमारे देश में संघीय लोकतांत्रिक शासन की व्यवस्था है। राज्यों में भी जनता द्वारा चुनी हुई सरकारें हैं। ऐसे में राज्य सरकारों के सारे अधिकार अपने हाथ में ले लेना और दिल्ली से ही संपूर्ण देश के लिए नियम बनाना व्यावहारिक नहीं कहा जाएगा। किस राज्य का कौन जिला रेड जोन में रहेगा और कौन ग्रीन में, यह फैसला भी दिल्ली से हो रहा है। हो सकता है कि राज्य सरकार जरूरत के मुताबिक महसूस करती हो कि संपूर्ण जिला में नहीं, बल्कि जिला के अमुक प्रखंड में ही लॉकडाउन की जरूरत है। तदनुसार उन्हें निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
राजद नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को संकट की इस घड़ी में राज्यों को वित्तीय और तकनीकी बल प्रदान करने की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। जैसे बिहार को जांच का दायरा बढ़ाने के लिए ज्यादा जांच किट की जरूरत है। केंद्र को यथाशीघ्र इसकी आपूर्ति की व्यवस्था करनी चाहिए राज्यों की वित्तीय हालत डांवाडोल है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने राज्यों को मिलने वाले जीएसटी का राज्यांश नहीं दिया है। उन्हें अनुदान की राशि भी अब तक नहीं मिल पाई है। जीएसटी लग जाने के बाद राज्य सरकारों के पास राजस्व वसूली का दायरा अत्यंत सीमित हो गया है। याद होगा कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उन्होंने जीएसटी का जमकर विरोध किया था। उनका अनुमान सही था कि जीएसटी लगने के बाद केंद्र सरकार पर राज्यों की निर्भरता बढ़ जाएगी। आज पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार स्वयं इसको प्रमाणित कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों का राज्यों में वापसी के बाद राज्य सरकारों पर वित्तीय दबाव और बढ़ गया है। ऐसे में उनको मदद की और ज्यादा जरूरत है। भाजपा नेता और बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी आज सार्वजनिक बयान देकर केंद्र सरकार से अनुदान की राशि तथा केंद्रांश मुक्त करने की मांग कर रहे हैं। स्थिति की गंभीरता का अनुमान उनके बयान से ही लगाया जा सकता है। बड़े पैमाने पर बेरोजगार हुए श्रमिकों के पुनर्वास के लिए अभी तक केंद्र सरकार ने न तो किसी योजना घोषणा की है और न ही उनके लिए किसी प्रकार के वित्तीय सहायता का प्रावधान किया है. ऐसी हालत में उनके सामने भुखमरी की समस्या उपस्थित होने का खतरा है यह भी राज्य सरकारों को ही झेलना है। अतः केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह इस महामारी का मुकाबला करने के लिए राज्यों को वित्तीय रूप से ना सिर्फ सामर्थ्यवान करें बल्कि उन्हें अपनी परिस्थिति के अनुसार रणनीति बनाने की आजादी भी दे।