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शराबबंदी पर सीएम नीतीश की समीक्षा बैठक, तेजस्वी ने पूछे 15 प्रश्न, कहा- सब नौटंकी है

पटना (जागता हिंदुस्तान) बिहार में शराबबंदी को लेकर सीएम नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस संबंध में यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि, “शराबबंदी पर मुख्यमंत्री जी से मेरे कुछ ज्वलंत सवाल है। आशा है आज की समीक्षा बैठक से पूर्व वो इनका उत्तर देंगे अन्यथा बैठक में इन पर विमर्श करेंगे। अगर ऐसा नहीं होगा तो फिर यह विशुद्ध नौटंकी होगी।

  1. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी बताए कि वो शराबबंदी पर आज कौन से नंबर की समीक्षा बैठक कर रहे है? क्या यह 1100वीं समीक्षा बैठक है?
  2. विगत 6 वर्ष में शराबबंदी पर की गयी पूर्व की हज़ारों समीक्षा बैठकों का क्या परिणाम निकला? अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिले तो यह प्रशासन की नहीं, सरासर मुख्यमंत्री की घोर विफलता है?
  3. मुख्यमंत्री शराबबंदी के नाम पर लाखों ग़रीबों-दलितों को जेल में डाल चुके है लेकिन वो बताएँ कि अब तक उन्होंने शराब की पूर्ति करने वाले कितने माफिया, कारोबारी, तस्करों और अधिकारियों को जेल भिजवाया है? अगर नहीं तो क्यों? क्या यह क़ानून गरीब पर ही लागू होता है?
  4. नीतीश सरकार शराब माफिया के साथ मिलीभगत के चलते न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करती जिससे एक-आध माफिया जो पकड़ाया जाता है उसे बरी होने में आसानी होती है। मुख्यमंत्री अगर शराबबंदी को लेकर गंभीर है तो वो बताएँ शराबबंदी के कितने मामलों में हारने के बाद बिहार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है?
  5. मुख्यमंत्री जी, बताएँ शराबबंदी के नाम पर आज तक कितने डीएसपी और एसपी स्तर के अधिकारी बर्खास्त हुए है? क्या शीर्ष पुलिस अधिकारी शराबबंदी के प्रति जवाबदेह नहीं है?
  6. मुख्यमंत्री जी, बताएँ शराबबंदी के नाम पर वो सिर्फ़ सिपाहियों को ही क्यों निलंबित करते है? निलंबित करने बाद उन्हीं 80% सिपाहियों को दुबारा बहाल क्यों करते है? अगर उन अधिकांश सिपाहियों की कोई गलती नहीं होती तो फिर आप उनके निलंबन का नाटक क्यों रचते है? क्या इसलिए कि शीर्ष अधिकारी बच जाए और सिपाहियों को निलंबित कर कुछ समय तक मामला ठंडा कर दिया जाए?
  7. मुख्यमंत्री जी बताए, शपथ लेने वाले अधिकांश पुलिसकर्मी और जेडीयू नेता शराब क्यों पीते है?
  8. मुख्यमंत्री जी अगर शराबबंदी की लेकर गंभीर है तो हमारे द्वारा सदन में साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद मंत्री रामसूरत राय और उनके भाई के ख़िलाफ कारवाई करने में आपके हाथ क्यों काँप गए? आप Biased और Selective Approach के साथ शराबबंदी करने की सोच भी कैसे सकते है?
  9. हम शराबबंदी में सहयोग करते है, साक्ष्य प्रस्तुत करते है तो आप कारवाई करने की बजाय सदन में बैठे-बैठे मास्क के अंदर मुस्कुराते है। आपके लिए शराबबंदी नहीं कुर्सी महत्वपूर्ण है। है कि नहीं??
  10. आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष के करीबी, जेडीयू के वरिष्ठ नेतागण, सीतामढ़ी के उपाध्यक्ष, नालंदा के प्रखंड अध्यक्ष, सहित श्याम बहादुर सिंह जैसे अनेक विधायकों और आपके करीबी नेताओं के हमने साक्ष्य और video आपके सामने रखे। जनता को प्रवचन देने से पूर्व आप यह बताए उनके विरुद्ध आपने क्या कारवाई की? कई ईमानदार अधिकारियों द्वारा आपके नेताओं के विरुद्ध कारवाई करने पर आपने उन अधिकारियों को ही हटा दिया। यही आपकी शराबबंदी को लेकर प्रतिबद्दता है।
  11. मुख्यमंत्री जी, आप विपक्ष के किसी भी सकारात्मक फ़ीड्बैक, सुझाव और ज़मीनी हक़ीक़त को हमेशा राजनीतिक चश्मे से देखते है इसलिए हर बात में आपको राजनीति ही नज़र आती है। हमारी नहीं तो अहंकार त्याग कम से कम आपके वरिष्ठ सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय जीतनराम माँझी जी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित अनेक सांसद जो इसकी ख़ामियाँ गिनाते है, उन पर तो गौर कीजिए।
  12. वह शराब माफिया जिसकी वजह से अनेक मौतें हो जाती है वह आपके बेडरूम तक कैसे पहुँचता है? उसके चुनाव जीतने पर आपकी पूरी पार्टी उसे बधाई देने पहुँचती है? यह संबंध क्या कहलाता है?
  13. विगत 15 दिनों में विभिन्न जिलों में ज़हरीली शराब से हुई 65 मौतों का दोषी कौन है?
  14. शराबबंदी के बावजूद प्रदेश की सीमा के अलावा 4-5 जिलों की सीमा पार कर करोड़ों लीटर शराब गंतव्य स्थल तक कैसे पहुँचती है? क्या आपके कथन अनुसार शासन-प्रशासन में सिवाय आपको छोड़ “सब लोग ही गड़बड़” है?
  15. अगर बिहार में कथित लाखों लीटर शराब ज़ब्त हुई है, तो वह प्रदेश के अंदर कब, कैसे और क्यों पहुँची? इसमें किसका दोष है? यह किसकी विफलता है? अगर सरकार में बैठे माफिया, तस्कर, सत्तारूढ़ नेता और अधिकारी बिहार में प्रति माह करोड़ों लीटर शराब की पूर्ति नहीं कराते तो क्या अदृश्य “सुशासनी भूत” यह सप्लाई करता-कराता है?

मुख्यमंत्री जी, दिखावटी समीक्षा बैठक से पूर्व आपको गहन आत्म चिंतन, मनन और मंथन की ज़रूरत है। तब तक आप स्वयं की तथा खुलेमन से शासन- प्रशासन की ग़लतियाँ स्वीकार नहीं करेंगे तब तक ये बैठके एवं शराबबंदी अन्य दिनों की भाँति सामान्य रूप से चलती रहेगी और इनका कोई अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आएगा।

बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह बैठक इसलिए हो रही है कि इस कानून का और सख्ती से पालन कराया जा सके। सुझाव और बैठक के बाद उसे और दुरुस्त किया जाएगा। नीतीश कुमार ने साफ कहा है कि शराबबंदी कानून में कोई कमी नहीं है, कमी लोगों में है। लोग शराब पिएंगे तो मरेंगे ही। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करना होगा और कानून का ज्यादा सख्ती से पालन कराना होगा।

दरअसल पिछले दिनों जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादा लोगों की मौत को लेकर बिहार सरकार चौतरफा निशाने पर है। वहीं, मुख्यमंत्री अब पुलिस-प्रशासन को कसने की तैयारी में दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि शराब से जुड़े मामलों में वह यह भी समीक्षा करेंगे कि कितने लोगों ने कंप्लेन की और उस पर क्या कार्रवाई हुई है? सीएम ने कहा कि अगर इस मामले में कोई गलत पाया जाता है तो उनपर कार्रवाई होगी। शराबबंदी पर अब तक जितनी भी समीक्षा बैठक हुई उसमें जो निर्देश दिए थे उसपर क्या एक्शन लिया गया इसे भी देखेंगे। उन्होंने कहा कि चाहे जितना भी समय लगे। वो इससे जुड़े लोगों से पूरी बात करेंगे।

सीएम ने कहा कानून में कोई कमी नहीं। सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि “शराबबंदी अभियान में कहीं कोई कमी नहीं है। कुछ लोग बोल रहे हैं, उसका कोई मतलब नहीं। कुछ लोग मेरे खिलाफ हो गए हैं, उन लोगों को शराबबंदी बुरा लगता है। शराबबंदी तो सर्वसम्मति से लागू किया गया था। तब किसी ने तो ऐतराज नहीं जताया, फिर अब क्यों विरोध कर रहे हैं?”

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