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भाकपा माले ने 12 अप्रैल को किया ‘मांग दिवस’ का आह्वान, ‘लॉकडाउन में भात की लिए’ बजायेगा थाली

पटना (जागता हिंदुस्तान) भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि लाॅकडाउन ने गरीबों, बाहर से आए मजदूरों, निर्माण मजदूरों, अन्य दिहाड़ी मजदूरों, मनरेगा मजदूरों, रिक्शा-टेंपों-ई रिक्शा चालको, निम्न मध्यवर्गीय तबके और समाज के कामकाजी हिस्से के सामने भुखमरी की गंभीर स्थिति पैदा कर दी है. क्योंकि सरकार द्वारा इन लोगों तक राशन पहुंचाने का काम न के बराबर हो रहा है. एक बड़े हिस्से के पास राशन कार्ड भी नहीं है, सरकार उस विशाल तबके को पूछ तक नहीं रही है. जबकि हम बार-बार केंद्र व राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि सभी जरूरतमंदों तक कच्चा राशन अविलंब पहुंचाने की गारंटी की जाए.

सरकार की इस संवेदनहीनता के कारण भूख का भूगोल लगातार बढ़ रहा है. भूख व बेबसी से मरने वालों की भी संख्या कोई कम नहीं है. यदि समय रहते सरकार द्वारा पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाते तो भुखमरी से मरने वालों की तादाद में कई गुणा वृद्धि हो सकती है. इसलिए यह हमारा दायित्व बनता है कि सरकार को हम इसके प्रति आगाह करें.

भाकपा-माले ने सरकार को आगाह करने के लिए और लाॅकडाउन के दौर में गरीबों व सभी जरूरतमंदों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के सवाल पर आगामी 12 अप्रैल को देशव्यापी मांग दिवस आयोजित करने का फैसला किया है. इस दिन ‘लाॅकडाउन में भात के लिए’ की केंद्रीय मांग के साथ यह कार्यक्रम शारीरिक दूरी व कोरोना के रोकथाम के सभी सुझावों का पालन करते हुए लागू किया जाएगा.

भाकपा-माले बिहार के सभी गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों व भूख से जूझ रही जनता से आह्वान करना चाहती है कि 12 अप्रैल को 2 से 2.30 बजे अपने-अपने घरों में 10 मिनट के लिए थाली अथवा अन्य चीजें बजाकर सरकार को संदेश दें कि वह समस्त जरूरतमंदों के लिए राशन की तत्काल व्यवस्था करे. कहा कि थाली की आवाज बहरी सरकारों के कानों तक पहुंचनी चाहिए. भाकपा-माले के समाज के प्रबुद्धजनों से भी इस कार्यक्रम में सहयोग की अपेक्षा रखती है.

उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान शारीरिक दूरी को बनाए रखने और भीड़ न लगाने की भी अपील की है. आगे कहा कि यदि 15 दिन के भीतर गेहूं व अन्य रबी फसलों की कटाई नहीं की गई, तो फसल खेत में ही बर्बाद हो जाएंगे और देश के समक्ष गंभीर खाद्यान्न संकट उपस्थिति हो सकता है. इसलिए हमारी मांग है कि सरकार फसल कटाई में खुद पहलकदमी ले और मजदूरों के जरिए इसे कटवाने की गारंटी करवाए ताकि मजदूर परिवार के पास भी जीवन यापन के लिए कुछ पैसा आ सके.

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