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प्रवासी बिहारियों का किराया देने के सीएम नीतीश के बयान पर माले ने उठाया सवाल, कहा- छलावा कर रही सरकार

पटना (जागता हिंदुस्तान) भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि जनांदोलनों के दवाब में केंद सरकार प्रवासी मजदूरों और छात्रों को घर भेजने पर तो सहमत हुई लेकिन अपने आधिकारिक नोटिफिकेशन में वह छलावा कर रही है। सिर्फ उन्हीं मजदूरों को वापस आने की इजाजत मिली है, जो अचानक हुए लॉक डाउन के कारण देश के दूसरे हिस्से में फंस गये थे जबकि बिहार के 40 लाख से ज्यादा मजदूर देश के अन्य दूसरे हिस्से में काम करते हैं। आज वे बेहद नारकीय जीवन जी रहे हैं, लगातार कोरोना के संक्रमण के शिकार हो रहे हैं, इसकी चिंता सरकारों को बिल्कुल नहीं है। कर्नाटक में उन्हें कोरोना बम कहा जा रहा है। ये मजदूर अपने राज्य लौटना चाहते हैं, आखिर सरकार उन्हें क्यों नहीं लौटने दे रही है? ऐसा लगता है कि मजदूर आदमी नहीं बल्कि पूंजीपतियों के बंधुआ हैं।

उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए किराया देने वाले बयान को अष्पष्ट बताते हुए कहा कि इसका कोई भी आधिकारिक नोटिफिकेशन नहीं हुआ है। बयान में कहा गया है कि इस मद में केंद्र सरकार 85 प्रतिशत और राज्य सरकार 15 प्रतिशत क्वारन्टीन खत्म हो जाने के बाद देगी। इससे भला मजदूरों का क्या भला होगा? और केंद्र पैसा कब देगा, साफ नहीं है।

माले नेता ने कहा कि हमारी मांग है कि जो भी मजदूर लौटना चाहते हैं उनके लिए केंद्र सरकार पीएम केयर फंड से राशि मुहैया कराए, सेनेटाइज रेल की सुविधा प्रदान करे, 10 हजार लॉक डाउन भत्ता दे, मृतक परिवारों को 10 लाख मुआवजा दे और उनके काम की गारंटी करे।

भाकपा-माले ने सरकार के उस आदेश की आलोचना की है और प्रेस की आजादी पर हमला बताया है , जिसमें क्वॉरेंटाइन और लौट रहे मजदूरों के प्रेस कवरेज पर रोक लगा दी गई है।

इन मांगों पर भाकपा-माले सहित सभी वाम दलों के आह्वान पर आज (मंगलवार, 5 मई) 11 से 3 बजे तक धरना दिया जाएगा।

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