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12 घण्टे कार्यदिवस के खिलाफ ऐक्टू के राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद के दूसरे दिन भी माले ने किया प्रदर्शन

पटना (जागता हिंदुस्तान) ऑल इंडिया सेंट्रल कॉन्सिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU – ऐक्टू) के द्वारा लॉकडाउन के बहाने कॉरपोरेटों के हित में श्रम कानूनों को निलंबित और कमजोर किए जाने के खिलाफ आयोजित अखिल भारतीय प्रतिवाद के दूसरे दिन भी भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने अपनी भागीदारी निभाई.

चितकोहरा में माले की केंद्रीय कमिटी की सदस्य और आशा कार्यकर्ताओं की नेता शशि यादव, टेंपो यूनियन के नेता मुर्तजा अली, माले नेता जितेंद्र कुमार आदि के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया.

इस मौके पर शशि यादव ने कहा कि कल प्रधानमंत्री ने देश की जनता और मजदूरों के साथ छलावा ही किया. कहते हैं कि देश को आत्मनिर्भर बनाना है, लेकिन दूसरी ओर मज़दूरों के लिए कार्यदिवस 12 घण्टे कर दिए गये और उन्हें गुलाम बनाने की साजिश रही जा रही है. कोरोना के नाम पर देश को आत्मनिर्भर तो नहीं, मज़दूरों को गुलाम बनाया जा रहा है.

खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा है कि अगर देश के मज़दूरों को गुजारा भत्ता नही दिया जाता, लॉक डौन अवधि की मज़दूरी नही मिलती और छह महीने का राशन का इंतज़ाम नही होता, तो यही समझा जाएगा कि यह पैकेज नहीं छलावा है.

रसोइया संघ की नेता सरोज चौबे ने कहा कि यह श्रम अधिकारों का निलंबन नहीं है, बल्कि कॉर्पेरोटो के दवाब में विभिन्न राज्य की सरकारें लम्बी लड़ाई के बाद हासिल मजदूरों के अधिकार को एकदम से खत्म करके उन्हें गुलाम बनाने की दिशा में बढ़ रही है. मज़दूरों को ये अधिकार हमारे देश का संविधान देता है, लेकिन उसकी लगातार धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं. 12 घण्टे कार्यदिवस एकदम से अमानवीय कार्रवाई है. इसे वापस लेना होगा।

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