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आउटसोर्सिंग के तहत काम करने का फरमान समाज के दबे कुचले समुदाय के अधिकारों पर हमला- माले

पटना ( जागता हिंदुस्तान) सफाई कर्मचारियों के आउटसोर्सिंग के तहत काम करने के सरकारी फरमान के खिलाफ भाकपा माले ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि नीतीश भाजपा सरकार द्वारा सफाई मजदूरों को और शोध के तहत काम लेने का निर्णय सफाई मजदूरों की रोजी-रोटी और आजीविका के अधिकार पर सीधा हमला है। नीतीश सरकार बिहार के सफाई मजदूरों को निजी मालिकों का गुलाम बना देना चाहती है वहीं कर्मचारियों को नियमित काम के अधिकार से बाहर कर रही है। इसी भाजपा सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने राज्य के सभी 143 नगर निगम निकाय के सफाई मजदूरों सहित ग्रुप डी के सभी सचिव पदों को मृत घोषित कर स्थाई पदों को समाप्त कर संगठित कानूनी लूट वाले निजीकरण, एनजीओकरण के तहत सफाई कार्य को आउटसोर्सिंग के माध्यम से एजेंसियों निजी कंपनियों से कराने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि नीतीश भाजपा सरकार में नगर विकास एवं आवास विभाग पिछले 15 साल से भाजपा के पास है। नगर विकास विभाग के भाजपा मंत्री व मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व में समाज के सबसे दबे कुचले लगभग 99% महादलित व अति पिछड़ा समुदाय से संबंध रखने वाले यह सफाई मजदूर, जो सामाजिक विकास के प्रबल दावेदार हैं, इन्हें न्याय और अधिकार देने के बजाय उल्टे इनकी रोजी रोटी और जीवन जीने कानूनी अधिकार पर ही क्रूरतम हमला बोल दिया है। उन्होंने कहा कि सुशासन और सामाजिक न्याय की 15 वर्षीय डबल इंजन की नीतीश सरकार सफाई मजदूरों पर डबल हमला करते हुए इन्हें काम से हटा जबरन निजी कंपनियों, एजेंसी मालिकों का गुलाम बना रही है। माले नेता ने कहा है कि 15 वर्षों से लगातार जन सरोकार वाले विभाग जो भाजपा के पास है, उन सभी विभागों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के नियंत्रण से मुक्त करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कल को यही सरकार एनआरसी-एनपीआर के तहत नागरिकता साबित नहीं कर सकने के नाम पर इन सफाई मजदूरों को डिटेंशन कैंप में डालने वाली है। इन काले कानूनों की मार भी सबसे अधिक मजदूर दलित व कमजोर समुदाय के लोगों पर ही पड़ने वाला है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पदोन्नति में एससी-एसटी के आरक्षण के में दिए गए निर्णय को लेकर कहा कि पदोन्नति में आरक्षण पर बरकरार रहना चाहिए। माले नेताओं ने कहा कि हमारी पार्टी सफाई मजदूरों केे पूरे बिहार में जारी आंदोलन का न सिर्फ समर्थन करती है बल्कि आगामी 11 फरवरी को पूरे बिहार में इस सवाल पर प्रतिरोध दिवस मनाने का आह्वान करती है।

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