जयप्रभा-मेदान्ता हॉस्पिटल को कोरोना अस्पताल बनाने की मांग, AISF-AIYF ने सोशल मीडिया पर छेड़ी मुहिम
पटना (जागता हिंदुस्तान) कंकड़बाग स्थित नवनिर्मित जयप्रभा-मेदांता अस्पताल को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहण कर कोरोना स्पेशल अस्पताल बनाने एवं कोरोना टेस्टिंग बढ़ाने को लेकर ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) एवं ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (AIYF) ने सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया है। इसको लेकर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर #OccupyMedantaPatna, #TestingBadhaoBiharBachao एवं #TakeOverPrivateHospitals के साथ बड़े पैमाने पर मुहिम चलाई जा रही है।
एआईएसएफ के मुताबिक इस मुहिम को को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिल रहा है। ट्विटर पर टेस्टिंग बचाओ बिहार बचाओ हैशटेग काफी देर तक दूसरे नम्बर पर ट्रेंड करता रहा। वहीं विभिन्न सोशल साइट्स पर ऑक्युपाई मेदान्ता पटना का व्यापक जनसमर्थन मिला।
इस संबंध में एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार एवं एआईवाईएफ के राज्य सचिव रौशन कुमार सिन्हा ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा कि अस्पताल बनाने के लिए बिहार सरकार ने सरकारी जमीन को काफी कम रेट पर मेदांता को दिया था। विगत फरवरी महीने में ही इस अस्पताल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया जाना था। अस्पताल बनकर तैयार है। ऐसे में इसे सरकार को अपने नियंत्रण में लेकर कोरोना स्पेशल अस्पताल घोषित करना चाहिए।
एआईएसएफ एवं एआईवाईएफ ने राज्य में गहराते कोरोना संकट पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि राज्य बुरी तरीके से महामारी में फंसा हुआ है। वैसे हालात में भी कम जाँच कर सरकार सही आँकड़े छिपाना चाहती है। पटना एम्स को राज्य सरकार ने वीआईपी मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया है। वही पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस सहित राजधानी के कुछ विशिष्ट अस्पतालों को कोरोना अस्पताल घोषित कर दिया गया है। फिर भी आम मरीजों की बात तो अलग है गृह विभाग के उप सचिव को एम्स में एवं सोनपुर के एसडीएम को एनएमसीएच में काफी प्रशासनिक दबाव के बाद जगह मिल पाई। इससे आम मरीजों के हालात को समझा जा सकता है।
कटिहार सदर अस्पताल एवं पीएमसीएच में गंभीर लापरवाही के कारण मरीजों की मृत्यु हो गई तो सीवान सदर अस्पताल में गेट पर छटपटाती महिला को देखकर इन्सानियत शर्मसार हुई है।बावजूद भी राज्य की भाजपा-जदयू सरकार पूरी तरीके से संवेदनहीन व अमानवीय होकर विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है। डॉक्टरों को भी पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय यथा पीपीई किट, गलब्स एवं उत्तम क्वालिटी का मास्क उपलब्ध कराने में सरकार नाकाम साबित हुई है। मौजूदा एनडीए सरकार बड़े बेशर्मी से कोरोना डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसा रही है जबकि बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में सरकार विफल साबित हुई है। राजधानी के कई विशिष्ट अस्पतालों यथा जयप्रकाश नारायण अस्पताल एवं गार्डिनर रोड अस्पताल को सरकार ने कोरोना हॉस्पिटल घोषित किया है।
छात्र-युवा नेताओं ने सवाल उठाया कि कोरोना अवधि में क्या सारे बीमारी छुट्टी पर चले गए हैं जो सरकार केवल कोरोना से लड़ने का नाटक कर रही है। ऐसे गंभीर हालात में जहां प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी समेत पूरे राज्य में कोरोना वायरस लगातार बढ़ते जा रहा है वहाँ सरकार को सही मायने में कोरोना के लड़ाई के लिए जिला अस्पताल को भी कोरोनावायरस एवं अन्य गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए विकसित करनी चाहिए। कोरोना जाँच को अधिक से अधिक कराना चाहिए।
वहीं राज्य की सरकार को सबसे पहले कोरोना महामारी संक्रमण के बढ़ते आंकड़े को देखते हुए सबसे पहले जयप्रभा-मेदांता अस्पताल जो पूरी तरह से बनकर तैयार है को कोरोना विशेष अस्पताल घोषित करना चाहिए।
छात्र-युवा नेताओं ने इस संकट की घड़ी में केन्द्र व राज्य सरकार को इसके अतिरिक्त देश व राज्य के सभी बड़े निजी अस्पतालों का क्रमवार तरीके से अधिग्रहण करना चाहिए। आखिर यह निजी अस्पताल जनता की गाढ़ी कमाई से अर्जित कर ही फले-फुले हैं। इसलिए इस आपदा की घड़ी में सरकार को इन अस्पतालों को अधिग्रहित कर जनता को समर्पित करनी चाहिए। इस मामले में सरकार द्वारा देरी करना बुरे दिनों में भी निजी अस्पतालों की प्रति हमदर्दी को दिखाना बहुत कुछ कहता है।