डायबिटीज़ और BP के मरीजों को किडनी की नियमित जांच करवानी चाहिए, आरा में IMA के साथ मिलकर मेदांता पटना ने की CME
न्यूज़ डेस्क । क्रोनिक किडनी बीमारी का सबसे बड़ा कारण डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का अनियंत्रित रहना है। क्रोनिक किडनी बीमारी का करीब 70 प्रतिशत ये ही कारण बनते हैं। ऐसे में अगर आपको भी डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो सचेत हो जाएं। इसे नियंत्रित रखें। साथ ही समय-समय पर अपनी किडनी की जांच करवाएं।
ये बातें शनिवार को जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पटना और आईएमए आरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सीएमई में मेदांता पटना के किडनी रोग विशेषज्ञ और नेफ्रोलॉजी किडनी एंड यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट, पटना के सीनियर कंसल्टेंट डॉ सूरज कुमार गुप्ता ने कही।
सीएमई का उद्घाटन आईएमए आरा के प्रेसिडेंट डॉ मधुकर प्रकाश ने किया। इस अवसर पर आईएमए आरा के सेक्रेटरी डॉ नरेश प्रसाद, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह, डॉ बीके शुक्ला, डॉ टीपी सिंह, डॉ पी सिंह समेत कई अन्य मौजूद थे।
यह है किडनी की बीमारी का लक्षण
सीएमई में डॉ सूरज कुमार गुप्ता ने कहा कि क्रोनिक किडनी बीमारी का समय से इलाज हो तो इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है या बीमारी को लंबे समय तक नियंत्रित रखा जा सकता है। लेकिन अक्सर ही मरीज देर से अस्पताल पहुंचते हैं जिसके कारण किडनी को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। किडनी की बीमारी की पहचान चेहरे और पांव का फूलना, ब्लड प्रेशर का कंट्रोल नहीं रहना, खून की कमी, सांस फूलना है। लेकिन ये लक्षण तभी सामने आते हैं जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। इसलिए ऐसे लक्षण दिखने से पहले ही बीमारियों की पहचान जरूरी है।
पेन किलर के ज्यादा सेवन से भी हो सकती है किडनी की बीमारी
उन्होंने कहा कि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के अलावा क्रोनिक किडनी बीमारी का कारण दर्द की दवाओं का अत्याधिक सेवन, अनुवांशिक आदि हो सकते हैं। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के पेन किलर नहीं लें।
उन्होंने कहा कि जब किडनी का फंक्शन पांच से दस प्रतिशत ही काम करता है तब डायलिसिस की जरूरत होती है। लेकिन जब डायलिसिस की नौबत आ जाए तो मरीज का बेहतर इलाज किडनी ट्रांसप्लांट है।
डॉ सूरज ने बताया कि किडनी के मरीज खाने में नमक कम खाएं और पानी भी कम पीएं। साथ ही अपनी डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें।