अभियान 40 (आईएएस) की परिचर्चा : सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम से सफल होने वाले अभ्यर्थियों की घटती संख्या
पटना । भाषा महज ज्ञान प्रकट करने का एक माध्यम है न कि ज्ञान मापने का। ऐसे में यह महत्वहीन हो जाता है कि आप किस माध्यम के विद्यार्थी हैं। UPSC पर यह आरोप लगता रहा है कि इसके द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में वर्ष 2011 से सीसैट शामिल किये जाने के बाद हिंदी भाषी क्षेत्रों का प्रभाव काफी कम हुआ है, लेकिन इसका कारण भाषा नहीं बल्कि कुछ और है। इसका एक कारण यह हो सकता कि सीसैट का पेपर इंजीनियरिंग और मेडिकल के प्रतिभागियों के अनुकूल है, जिससे इन विषयों से जुड़े प्रतिभागियों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. स्पष्ट है कि ये दोनों ही फ़ील्ड अंग्रेजी माध्यम के हैं और अंग्रेज़ी माध्यम में ही इसकी पढ़ाई होती है।
ये बातें शुक्रवार को पटना के एक होटल में गौतम बुद्धा ग्रामीण विकास फाउंडेशन द्वारा संचालित ‘अभियान 40 (आईएएस)’ की ओर से आयोजित परिचर्चा में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डीपी अग्रवाल ने कही। सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम से सफल होने वाले अभ्यर्थियों की घटती संख्या पर आयोजित परिचर्चा में बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने भाग लिया ।
इससे पहले अतिथियों का स्वागत फाउंडेशन के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष बिलास कुमार ने किया जबकि विषय प्रवेश वरिष्ठ आईएएस पदाधिकारी व राजस्व पर्षद के सचिव गिरिवर दयाल सिंह ने किया। इस मौके पर प्रो. अग्रवाल ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में किसी भी माध्यम से इन प्रश्न पत्रों का हल करें कोई फर्क नहीं पड़ता, आवश्यकता इस बात की है कि वे हॉलिस्टिक अप्रोच रखते हों ।
यह भी आवश्यकता है कि हिंदी माध्यम से गुणवत्तापूर्ण पठन सामग्री का विकास किया जाए और अधिक से अधिक विद्वानों को इसमें शामिल किया जाए इस देश की लगभग आधी से अधिक जनसंख्या हिंदी भाषा को बोलती है ऐसी दशा में सिविल सेवाओं में हिंदी माध्यम से अच्छा मटेरियल नहीं होना चिंता का विषय है। आवश्यकता इस बात की है हिन्दी के साथ सभी विद्वान जो विभिन्न विषयों के है एक साथ संगठित हो और गुणवत्तापूर्ण पठन सामग्री का विकास किया जाए ।
हम सभी को पूर्ण रूप से आशा ही नहीं विश्वास है कि एक समय ऐसा आएगा जब पुनः हिन्दी भाषी छात्र अपनी खोई हुई गरिमा को प्राप्त करेंगे और इन सभी समस्याओं से बाहर निकलते हुए एक बार पुनः हिन्दी भाषा से परिणाम अच्छा होगा। इस मौके पर पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आरबी सिंह, आयकर विभाग के पूर्व मुख्य आयुक्त विजय शर्मा सिंह, आईआरएस आरके मधुकर समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे