HEALTH

रोबोटिक तकनीक से घुटने और कूल्हे के प्रत्यारोपण की ट्रेनिंग देश भर में दे रहे हैं डॉ. आशीष सिंह

ऽ पटना के अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन में रोबोट लियो – 2 की सहायता से भारत में सबसे पहले 2020 से ही हो रहा है घुटने और कूल्हे का प्रत्यारोपण

पटना (जागता हिंदुस्तान) पटना के अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन के मेडिकल डायरेक्टर डॉ.आशीष सिंह रोबोटिक तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण करने वाले देश के शीर्ष सर्जन हैं। डॉ आशीष सिंह अब देश भर के आर्थोपेडिक्स सर्जनों को रोबोटिक तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। वे एक विख्यात सर्जन के साथ ही अब एक शिक्षक की भी भूमिका में हैं। हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में एक जून को उन्होंने जो ट्रेनिंग दी है उसकी चर्चा देश भर में हो रही है। अब देश के कई दूसरे प्रतिष्ठित अस्पतालों की ओर से भी उन्हें आकर ट्रेनिंग देने का आमंत्रण मिल रहा है।

डॉ आशीष सिंह जहां भी ट्रेनिंग देने जाते वहां डॉक्टरों को रोबोटिक तकनीक से सर्जरी कर के भी सिखाते हैं। डॉ. आशीष सिंह को हैदराबाद के अपोलो अस्पताल से पूर्व अमृतसर के प्रकाश हॉस्पिटल में भी सर्जरी और ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया जा चुका है।

शिक्षक के रूप में इस नये अनुभव को लेकर डॉ आशीष सिंह कहते हैं कि हैदराबाद अपोलो अस्पताल में एक शिक्षक और गेस्ट सर्जन के रूप में जाना मेरे लिए गौरव की बात है। इस दौरान डॉ जयराम चंद्र पिंगले और डॉ बालू के साथ काम करने का शानदार अनुभव रहा। इन दोनों से मुझे भी काफी कुछ सीखने को मिला। 82 वर्ष के डॉ जयराम चंद्र पिंगले इस उम्र में भी बेहद एक्टिव और हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तैयार रहते हैं।

डॉ आशीष सिंह ने बताया कि शिक्षक के रूप में मैं आगे भी देश के विभिन्न शहरों में जाकर डॉक्टरों को अत्याधुनिक में रोबोटिक तकनीक की ट्रेनिंग देना चाहता हूं ताकि देश के अधिक से अधिक मरीजों को जोड़ प्रत्यारोपण के नए और बेहतर इलाज का लाभ मिले।

अब 100 प्रतिशत सफल जोड़ प्रत्यारोपण होता है
देश भर में हड्डी रोग और रोबोटिक जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ के रूप में डॉ. आशीष सिंह प्रसिद्ध हैं। वे कहते हैं कि घुटनों और कूल्हे के प्रत्यारोपण की आधुनिक रोबोटिक तकनीक की मदद से 100 प्रतिशत तक सफलता मिलती है।

बदलती जीवनशैली और लंबी उम्र होने के कारण एक बड़ी आबादी को आज घुटने और कूल्हे के प्रत्यारोपण की आवश्यकता है। इसको लेकर अभी भी मरीजों में बहुत सी गलतफहमियां हैं और जागरूकता की कमी है। आज के समय में जोड़ प्रत्यारोपण की सर्वश्रेष्ठ सर्जरी रोबोटिक आर्म की सहायता से होती है जो इस क्षेत्र की नई तकनीक है। कुछ समय पहले तक यह यूरोप और अमेरिका में ही होती थी। भारत में सबसे पहले इसकी शुरुआत मैंने की है।

अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन, पटना में विश्व की अत्याधुनिक तकनीक से लैस रोबोट लियो – 2, भारत में सबसे पहले अगस्त 2020 से ही मौजूद है। इसके बाद ही देश के अन्य शहरों में यह सुविधा उपलब्ध हुई है।

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