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बिहार बदलेंगे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, कहा- नीतीश सरकार को हटाना पहला कदम

पटना (जागता हिंदुस्तान) बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की सुगबुगाहट तेज होने के साथ ही बड़े दलों से अलग हो चुके विभिन्न बड़े नेता और छोटी-मोटी पार्टियां अपनी जमीन तलाश करने में जुट गई हैं। इसी क्रम में पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने नीतीश कुमार सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए एक नए मोर्चे के गठन की घोषणा की। पटना के एक प्रतिष्ठित होटल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में महागठबंधन का मोर्चा संचालित होगा, साथ ही बिहार के कई प्रमुख राजनेता पहले ही उनके नेतृत्व में आंदोलन में शामिल हो चुके हैं।

यशवंत सिन्हा ने बताया कि, “बिहार के प्रवासियों की विकट स्थिति को देखते हुए मैंने बिहार सरकार को सत्ता से हटाने और जदयू के विफल शासन के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की आवश्यकता महसूस की। नीतीश कुमार रोजगार, स्वास्थ्य सेवा से लेकर औद्योगिकीकरण तक सभी क्षेत्रों में विफल रहे हैं।”

यशवंत सिन्हा आगे ने बताया कि मोर्चा “इस बार बदलो बिहार” के नारे के तहत काम करेगा और इस आंदोलन का मुख्य लक्ष्य जदयू सरकार द्वारा 15 साल के कुशासन को चुनौती देने के लिए एक ही बैनर तले सभी विपक्षी नेताओं को एकजुट करना होगा। सरकार की विफलताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी ने एक ऐसे व्यक्ति से विकास की अपेक्षा की थी, जिसने खुद को “सुशासन बाबू” कहा, फिर भी नीतीश कुमार के 15 साल के शासन के बाद बिहार देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य बना हुआ है। इसकी प्रति व्यक्ति आय मात्र 47,541 रु. प्रति वर्ष है। यह राष्ट्रीय औसत 1,42,719 रु. से लगभग तीन गुना कम है। बिहार में रोजगार एवं पलायन के लिए जनता को दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर किया जाता है, हर साल 40 लाख लोग बिहार से रोजगार की तालाश में अन्य राज्यों की ओर कूच करते हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोनोवायरस से पहले ही दिसंबर 2018 तक बिहार के युवाओं में बेरोजगारी राष्ट्र में सबसे उच्च स्तर पर हो गई थी। यह आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार 40.9% है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नीतीश कुमार की विफलताओं पर कई महत्वपूर्ण बिंदु पर सवाल उठाए।

सिन्हा ने घोषणा की कि मोर्चा और उसके नेता बिहार के लोगों को नीतीश कुमार के शासन में की विफलताओं को बताने के लिए इस सप्ताह से पूरे बिहार में दौरा शुरू करेंगे। भले ही जेडीयू ने एक अच्छी सरकार का नेतृत्व करने का दावा किया है, लेकिन भारत के अन्य सभी राज्यों के मुकाबले बिहार सबसे पिछड़ा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि “भले ही 15 साल पहले यूपी और बिहार की तुलना की जाती थी, लेकिन यूपी ने बिहार को लगभग सभी बुनियादी ढाँचे और शासन के मापदंडों पर बहुत पीछे छोड़ दिया है। मनरेगा जैसी योजनाओं में, यूपी काफी बेहतर कर रहा है, और यहां तक कि बिहार के किसान भी यूपी के किसानों की तुलना 25% से कम आय में बहुत गरीब बने हुए हैं।” मोर्चे का समर्थन करने वाले नेताओं ने बिहार के लिए एक कार्यान्वयन योजना के साथ-साथ एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम बनाने की योजना के बारे में बात की, जिसके तहत राज्य के सभी विपक्षी दल असंगत सरकार को हटाने के लिए एकजुट हो सकते हैं। इस कार्यक्रम को तैयार करने का काम शुरू हो चुका है और बिहार की कई प्रमुख पार्टियां सिन्हा के साथ इस मोर्चे में शामिल होने के लिए संपर्क में हैं।

यशवंत सिंह ने दावा किया कि बिहार के कई नेताओं ने पिछले तीन महीनों में उनसे संपर्क किया, जिससे उन्हें तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करने के लिए कहा गया जो बिहार में जदयू को चुनौती दे सके। बैठक में अपना समर्थन दिखाने के लिए इनमें से कई नेता मौजूद रहे, जिनमें पूर्व सांसद देवेंद्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि, बिहार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह, पूर्व सांसद अरुण कुमार, पूर्व मंत्री रेनू कुशवाहा, पूर्व विधायक सिद्धनाथ राय व अशफाक अहमद मौजूद रहे।

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