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सत्याग्रह से मिली गांधी जी को एक नई पहचान- डॉ. शशि सिंह

पटना (जागता हिंदुस्तान) सत्याग्रह की शुरुआत 1917 के अप्रेल माह में की गई थी और गांधी जी को एक नई पहचान मिली। ये बातें विचार विभाग बिहार कांग्रेस के चेयरमैन डा. शशी कुमार सिंह ने विचार विभाग द्वारा आयोजित एक विचार गोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि उनके बताये मार्ग पर चल कर ही दी जा सकती है। डा. सिंह ने कहा कि गांधी जी तो चले गए, लेकिन आज भी विचारों के रूप में वे हमारे बीच विधमान हैं। विश्व के कई दिग्गज नेताओं ने अपनी लड़ाई गांधी जी के सिद्धांतों पर ही चल कर लड़ी और सफलता हासिल किया।

इस अवसर पर बोलते हुए बिहार कांग्रेस रिसर्च विभाग के चेयरमैन आनन्द माधव ने कहा कि आज पूरा विश्व आज एक ऐसे दौर से गुजर रहा जहाँ हिंसा, घृणा, विद्वेष का बोलबाला है, लेकिन भारत के लिए वर्तमान समय और भी अधिक संकट और संक्रमणकाल का है। इन परिस्थितियों में गांधी जी कि प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। क्योंकि सत्याग्रह के रास्ते पर चलकर, स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व के आधार पर इन्होंने पूरे देश को एक किया था।

माधव ने कहा कि आज गांधी की प्रतिमा खंडित हो रही है, हम चुप हैं क्यों? गोडसे महिमा मंडित हो रहे, हम चुप है, क्यों? यह एक बड़ी विडंबना है। प्रतिमा गांधी की खंडित नहीं हुई, प्रतिमा सत्य की खंडित हुई है, धर्म की खंडित हुई है।

इस अवसर पर अखिल भारतीय पान संघ के अध्यक्ष आई पी गुप्ता ने कहा कि हमें योजनाबद्ध तरीक़े से इस लड़ाई को लड़नी होगी। विचार विभाग के राज्य समन्वयक अमित कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। विचार गोष्ठी में निरंजन कुमार, शिवदानी कुमार, राम पदार्थ यादव, डा. भीम तिवारी आदि ने भी अपनें विचार प्रकट किये।

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