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Lockdown2 : गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को दस हजार रू. दे सरकार- पप्पू यादव

पटना (जागता हिंदुस्तान) “राज्य सरकार आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा घर-घर स्क्रीनिंग करा रही हैं। इन कार्यकर्ताओं के पास इंफ्रारेड थर्मामीटर नहीं हैं। ये एक ही मरकरी थर्मामीटर से सभी लोगों की जांच कर रही हैं। इससे कोरोना वायरस महामारी फैलने की संभावना और बढ़ जाती है। इसके अलावा डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के पास न पीपीई किट हैं और न ही मास्क। सरकारी कार्यालय तो खोल दिए गए है लेकिन वहां सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं है।” उक्त बातें जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव ने अपने फेसबुक लाइव कार्यक्रम ‘दिल की बात’ के दौरान कही।

किसानों के मुद्दों को उठाते हुए उन्होंने कहा कि “किसान अपनी फसल को लेकर परेशान है। देर से कटाई तो हो गई लेकिन अब अनाज को मंडी तक ले जाने में किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन सब के बावजूद सरकार उन्हें राहत पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाने में विफल रही है।”

पप्पू यादव ने कहा कि “मैं अपना घर बेचकर भी गरीबों और मजदूरों को खाना खिलाने को तैयार हूं। सरकार बस दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस बिहार लाने की व्यवस्था करें।”

उन्होंने मांग की कि “लॉज में फंसे छात्रों का किराया सरकार वहन करें तथा पत्रकारों को मुफ़्त में मास्क और सैनिटाइजर बांटे जाए। मीडिया के लोग आम जनता तक इस महामारी में भी लोगों तक सच पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे हैं। मुंबई से खबर आई है कि 53 पत्रकार कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। तथा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को दस हजार रूपये की आर्थिक मदद दी जाए।”

जाप अध्यक्ष ने आगे कहा कि “नेशनल हॉकर्स फांउडेशन के राष्ट्रीय सचिव शक्तिमान घोष के मुताबिक लॉकडाउन के कारण रेहड़ी, फल-सब्जी, मोबाइल एक्सेसरीज आदि बेचने वाले चार करोड़ लोगों में से 95 फीसदी लोग घर बैठे हुए हैं।”

अंत में उन्होंने उन लोगों का धन्यवाद दिया जो इस विकट परिस्थिति में जरूरतमंदों को भोजन करा रहे हैं।

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