विक्रम पोद्दार और संतोष शर्मा की पुलिस पिटाई में हुई हत्या की हो उच्चस्तरीय जांच- उदय नारायण चौधरी
पटना (जागता हिंदुस्तान) बेगूसराय के बीरपुर थाना क्षेत्र के पर्रा गांव निवासी विक्रम पोद्दार तथा नावकोठी अंचल के छतौना निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता संतोष शर्मा की पुलिस पिटाई में मौत होने का आरोप लगाते हुए विभिन्न राजनीतिक दल मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की मांग कर रहे हैं। इसी क्रम में राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषियों को दंडित करने तथा दोनों परिवार को दस-दस लाख रु. मुआवजा देने के साथ मृतक सामाजिक कार्यकर्ता संतोष शर्मा की पत्नी को सरकारी नौकरी तथा सुरक्षा देने की मांग की है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम अपने पत्र में लिखा कि बेगूसराय के बीरपुर थाना के पर्रा गांव निवासी विक्रम पोद्दार के प्रेम प्रसंग के कारण लड़की के पिता घोलटन झा ने बीरपुर थाना में बेटी के अपहरण का केस दर्ज कराया था। के आधार पर वीरपुर पुलिस ने दिल्ली पुलिस की मदद से बीते 23 मार्च को संगम विहार थाना क्षेत्र से लड़का और लड़की को बरामद कर वापस बेगूसराय लाया।
उदय नारायण चौधरी ने आरोप लगाया है कि लड़की के पिता और बीरपुर थाना प्रभारी स्वजयीय थे। इस कारण लड़की पर उसके अभिभावकों के द्वारा दबाव बनाकर कोर्ट में 164 का बयान दर्ज कराया गया, जिसमें नाबालिग लड़की के अपहरण की पुष्टि कराई गई। वहीं दूसरी ओर लड़का विक्रम पोद्दार की खूब पिटाई की गई और रात्रि में हत्या कर थाने के ऊपर कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या का केस बनाया गया। उदय नारायण चौधरी ने कहा कि फोटो देखकर साफ पता चलता है कि हत्या करने के बाद बांधकर टांग दिया गया, क्योंकि लड़के का पैर जमीन से सटा हुआ था।
राजद नेता ने कहा कि लड़के का परिवार दिल्ली में मजदूरी करता है और लॉकडाउन के कारण शव लेने बेगूसराय नहीं पहुंच सका। उन्होंने कहा कि लड़का लड़की 2 महीने से दिल्ली में पति-पत्नी के रूप में रह रहे थे। अगर लड़की का अपहरण होता तो वह दिल्ली कैसे पहुंचती। उन्होंने आरोप लगाया कि लड़की का पिता थाने से मिलकर विक्रम पोद्दार की हत्या करने में सफल हो गया।
इसके साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि इस मामले को अत्यंत पिछड़ी जाति से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता ठाकुर संतोष कुमार शर्मा ने प्रमुखता से उठाया। इस कारण यह मामला मीडिया में भी सुर्खियों में आया। इससे नाराज होकर नावकोठी थाना प्रभारी ने संतोष शर्मा को लॉकडाउन भंग करने के आरोप में बीते 6 अप्रैल को हिरासत में लिया और जमकर पिटाई की। सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं के दबाव में संतोष शर्मा को पीआर बांड लेकर उसी दिन रात्रि में छोड़ भी दिया गया, लेकिन 7 अप्रैल को उनकी तबियत बिगड़ गई। लॉकडाउन के कारण सरकारी अस्पताल में उनका इलाज नहीं हो सका। निजी अस्पतालों में इलाज के बाद उन्हें पटना की आईजीआईएमएस अस्पताल लाया गया जहां पहुंचते ही उन्होंने दम तोड़ दिया। इस कारण न तो उनका पोस्टमार्टम हुआ और ना ही केस दर्ज हो सका।