मेवा पॉलिटिक्स : सारा काम विपक्ष करेगा, तो नीतीश-मोदी क्या सिर्फ बिहार को लूटने बैठे हैं- राबड़ी देवी
पटना (जागता हिंदुस्तान) लॉक डाउन में दूसरे राज्यों में फंसे बिहारी मजदूरों की प्रदेश वापसी वापसी के बाद क्वॉरेंटाइन सेंटर में उन्हें दिए जा रहे सरकारी खाने को लेकर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद अब बिहार की राजनीति में अब ‘मेवा पॉलिटिक्स’ शुरू हो गया है। दरअसल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अररिया पहुंचे श्रमिकों को सरकार द्वारा खाने के लिए सूखा भारत और नमक देने को लेकर हल्ला बोला तो उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तंत्र करते हुए कहा कि विपक्ष द्वारा मजदूरों को मेवे का पैकेट देकर स्वागत करना चाहिए।
सुशील मोदी के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी काफी भड़क गई हैं। उन्होंने कहा है कि, “नेता प्रतिपक्ष ने सबूत सहित दिखाया कि कैसे सरकार मज़दूरों को सूखा भात और नमक खिला रही है। इस पर बेशर्म उपमुख्यमंत्री कह रहे है कि विपक्ष मज़दूरों को मेवा खिला दें। सरकार नियमित सारा काम विपक्ष ही करेगा तो 15 साल से सृजन सहित 55 घोटालों के अगुआ नीतीश-मोदी क्या सिर्फ़ बिहार को लूटने और विपक्ष को गाली देने ही गद्दी पर बैठे है?”
राबड़ी देवी ने आगे कहा कि बिहार सरकार कहती है कि:-
- विपक्ष ही कोरोना मरीज़ों की टेस्टिंग और इलाज करवाए।
- विपक्ष अस्पताल बनवाए, पीपीई किट, टेस्टिंग किट और वेंटिलेटर लेकर आए।
- विपक्ष बाहर फँसे छात्रों और अप्रवासी मज़दूरों को वापस लेकर आये?
- विपक्ष ही अप्रवासियों के लियझुइजुजगुकझजकए बस और ट्रेन चलवाए क्योंकि सरकार संसाधनहीन है।
- विपक्ष ही किराया दे?
- विपक्ष ही अप्रवासियों को वापस लाने पर क्वारंटाइन केंद्रों में उनके भोजन इत्यादि का प्रबंध करे। उन्हें मेवा खिलाए।
- विपक्ष ही बिहारवासियों को राशन दें।
- विपक्ष ही किसानों को मुआवज़ा दें।
- विपक्ष पलायन रोकें लेकिन सरकार रिवर्स माइग्रेशन करें।
- विपक्ष ही हेल्पलाइन जारी कर लोगों की मदद करें।
- विपक्ष ही लॉकडाउन का पालन कर जनता को जागरूक, सतर्क और सावधान करें लेकिन सत्ताधारी दल अपने कर्तव्य का निर्वहन ना कर बल्कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर अपने पार्टी ज़िला अध्यक्षों और विधायकों के साथ मिलकर चुनावी तैयारी पर कॉन्फ़्रेन्स कर रहे है।
राबड़ी देवी ने कहा है कि अगर नीतीश कुमार और सुशील मोदी को लगता है कि विपक्ष इतना जानदार, शानदार, योग्य, समर्थ और सक्षम है तो फिर ये दोनों सार्वजनिक रूप से हाथ खड़े कर कुछ दिन अवकाश प्राप्त कर लें। हम सरकार का सारा काम ज़िम्मेवारीपूर्ण करेंगे। नकारा बिहार सरकार को क्या विपक्ष का ऑफ़र मंज़ूर है?