Lockdown- शब-ए-बरात में नहीं जाएं कब्रिस्तान, घर में ही पढ़ें नमाज़ और मांगे दुआ- अंजुम आरा
पटना (जागता हिंदुस्तान) कोरोना महामारी को लेकर देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। सरकार सभी लोगों से लगातार सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन करने की अपील कर रही है। इसके तहत गुरुवार को मुस्लिम समाज के त्यौहार शब-ए-बरात को लेकर भी लोगों से घर से बाहर निकलने की वजह घरों में ही इबादत करने की अपील की जा रही है।
इसी क्रम में बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जदयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने भी मुस्लिम समाज के लोगों से शब-ए-बरात के दौरान कोरोनावायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की है।
अंजुम आरा ने कहा है कि मुस्लिम समाज के तमाम लोगों से गुजारिश है कि लॉकडाउन को लेकर केंद्र और बिहार सरकार ने जो निर्देश या सलाह जारी किया है, वे उसका पूरी तरह से पालन करें। शब-ए-बरात में अपने बुजुर्गों की मगफरत (मोक्ष) की दुआ के लिए कब्रगाहों पर ना जाएं, बल्कि घर में नमाज अदा करें एवं दुआ मांगे।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि इस्लाम इंसानियत का पाठ सिखाता है और वर्तमान में इंसानियत की सबसे बड़ी मांग है कि हम शारीरिक एवं सामाजिक दूरी बनाएं रखें ताकि कोरोना के संक्रमण से हम खुद को और दूसरों को भी बचा सकें। उन्होंने कहा कि इंसानियत को खतरे में डालकर मजहब की हिफाजत नहीं की जा सकती है। लिहाज़ा हर एक मुसलमान को अपनी, अपने परिवार, समाज तथा देश के प्रति अपनी जवाबदेही समझनी चाहिए। अंजुम आरा ने दोहराया कि उनका अपने तमाम मुसलमान भाई-बहनों से आग्रह है कि लॉकडाउन के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें। दुआ के लिए कब्रिस्तान में ना जाएं बल्कि अपने घरों में दुआ करें और शारीरिक एवं सामाजिक दूरी बनाए रखें, ताकि अपने आपको, अपने परिवार को और अपने समाज को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा सकें।
बता दें कि शब-ए-बरात मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन बड़ी संख्या में अकीदतमंद कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों की क़ब्रों पर जाकर फातिहा पढ़कर अल्लाह से उनकी मगफिरत (मोक्ष) की दुआ मांगते हैं। इस कारण शब-ए-बरात की रात सभी मुस्लिम कब्रिस्तान में अकीदतमंदो की जबरदस्त भीड़ लग जाती है। इसे देखते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड और इमारत-ए-शरिया ने भी अपील जारी कर मुसलमानों से शब-ए-बरात में घर से ही इबादत करने को कहा है।