Education & Culture

कलम सत्याग्रह अभियान : बिहार में शिक्षा पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन

पटना । ‘कलम सत्याग्रह’ अभियान को आगे बढ़ाते हुए सोमवार को सीआरडी पटना पुस्तक मेला के सहयोग से नालंदा सभागार में “बिहार में शिक्षा” पर एक संवाद का आयोजन किया गया। इस संवाद में संवाद में राज्य के प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त राजनीति, शिक्षाविद, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, रंग कर्मी एवं शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।

कार्यक्रम के आरंभिक भाषण में कलम सत्याग्रह अभियान के संयोजक, आनन्द माधव ने कहा कि समाज में बदलाव तभी आ सकता है जब नकारात्मक राजनीतिक बहस को सकारात्मक बहस में बदला जाय और शिक्षा उसके मूल में हो। कलम सत्याग्रह मंच का निर्माण बिहार में शिक्षा को मुख्य मुद्दे के रूप में स्थापित करने कि लिये किया गया है। जब तक शिक्षा राजनीतिक दलों के केंद्र में नहीं आयेगा तब तक किसी भी विकास की कल्पना अधूरी है। श्री आनन्द ने बताया कि इस राज्य में कुल सरकारी विद्यालयों की संख्यां 72,663 है, लेकिन अगर उनकी स्थिति पर एक नजर डालें हैं तो वह भयावह है।

37.1 % स्कूलों को अपनी जमीन नहीं है।41.4 % स्कूल में लाइब्रेरी उपलब्ध नहीं है और 92.8 % स्कूलों में लाइब्रेरियन नहीं है। 97.9 % स्कूल में इंटेरनेन्ट नहीं है, और 94.5% स्कूल में कंप्युटर नहीं है, विडंबना यह कि हम डिजिटल युग में रह रहें हैं। 68.8 % स्कूल में कोई मेडिकल चेकअप की सुविधा उपलब्ध नहीं है। 61.6 % स्कूल में उस स्कूल के मुखिया यानि प्रधानाअध्यापक के लिए अलग से कोई कमरा नहीं है।56.1% स्कूल में खेल का मैदान उपलब्ध नहीं है। नो वर्किंग इलेक्ट्रिसिटी वाले स्कूलों की संख्या 16.6 % है। दिव्यांगों के लिए 20.8 % स्कूल में रैम्प उपलब्ध नहीं है।

राज्य के विश्वविद्यालयों में परीक्षा एवं सत्र दोनों लंबित चल रहें हैं। कलम सत्याग्रह आज अपनी प्रतिबद्धता दुहराता है और यह तय करता है कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार आने तक हम अपना अभियान जारी रखेंगे और अगर परिस्थिति नहीं बदली तो ये अभियान आन्दोलन का भी रूप ले सकता है।बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कलम सत्याग्रह एक दबाव समूह के रूप में भी काम करेगा और सरकार चाहेगी तो कदम कदम पर एक उसका सहयोग भी करेगी।

सभा की अध्यक्षता करते हुए कलम सत्याग्रह के संस्थापक सदस्य ग़ालिब खान जी ने अपनें स्वागत भाषण में कहा कि कलम सत्याग्रह के रूप में बिहार के शिक्षा एवं मानव विकास से जुड़े विभिन्न संगठनों ने संयुक्त रुप से बिहार में शिक्षा की बदहाली पर चिंता प्रकट करते हुए एक साथ नागरिक आंदोलन की परिकल्पना की है। सबको शिक्षा एवं समान शिक्षा ही एक विकसित समाज की कल्पना कर सकते हैं। पड़ोस के विद्यालय में शिक्षा प्रणाली लागू होना चाहिये। जहां समाज शिक्षित है वहाँ लोग शांति से हैं, सकूँ से हैं।सब का यह मानना है कि वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में हमारी स्थिति बहुत ही दयनीय है। नीति आयोग की रिपोर्ट में भी लगातार हमें निचले या नीचे से दूसरे स्थान पर दिखाया जा रहा है।उन्होंने बताया कि यह अभियान हर प्रमंडल से होते हुए हर जिले और प्रखंडों तक जाएगा। आज ना गाँधी आयेंगे ना ही मौलाना आज़ाद, हमें ही निकलना होगा।

पटना विश्वविद्यालय लोक प्रशासन विभाग के प्रो सुधीर कुमार ने कहा कि स्वतंत्र भारत में शिक्षा नीति 1968 एवं 1986 के बाद तृतीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सरकार ने मंजूरी दी है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के घोषणा के बाद केवल शिक्षा जगत ही नहीं बल्कि संपूर्ण बौद्धिक जगत चिंता में डूबा है इसके सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा हो रही है यह शिक्षा नीति शिक्षा के सभी पक्षों में अमूल परिवर्तन की बात करता है शिक्षा के अधिकार कानून को प्री प्राइमरी से सेकेंडरी तक विस्तार की बात करता है अरली चाइल्डहुड केयर को प्राथमिक शिक्षा के साथ जोड़ा गया है शिक्षक केंद्रित और शोध पर जोर संयुक्त बीएड कोर्स, स्पेशल जोन कुछ ऐसे बिंदु है जिन्हें सकारात्मक माना जा सकता है ।

लेकिन जैसे-जैसे इसे लागू की जा रही है परत दर परत के जनविरोधी और नकारात्मक पहलू उजागर हो रहे हैं पाठ्यक्रम में अवैज्ञानिक व असंवैधानिक तथा बाजार और कारपोरेट के हाथों बेचने की नीति स्पष्ट हो रही है जहां शिक्षा सहज, सुलभ एवं सस्ती होनी चाहिए वहां शिक्षा का निजीकरण और कारपोरेटीकरण के द्वारा महंगी शिक्षा के सरकारी अभियान के रूप में देखा जाने लगा है इसमें अकादमी और प्रशासनिक स्तर पर बदलाव पर बहुत बल दिया गया है इससे शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की महत्ता खत्म हो कर विश्वविद्यालय को महज डिग्री बांटने का केंद्र बनाने की तैयारी है ।

ऑनलाइन शिक्षा आने वाले दिनों में क्रिटीकल मोड ऑफ थिंकिंग खत्म होगी सभी कॉलेज और संस्थाएँ सेल्फ फाइनेंस मोड में होगी। मेधा की बात करके हाशिए पर पड़े लाखों बच्चे छात्रों की शिक्षा से वंचित करने की चक्रव्यूह रचना की जाल बनाया जा है। लिखने से आप अपने उपर हो रहे शोषण के कारणों का भी पता कर सकते है।

पर्यावरण विद डा मेहता नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पर्यावरण शिक्षा जीवन के अस्तित्व से जुड़ा है, अंत: ये होना ही चाहिये।

पटना नगर कांग्रेस के अध्यक्ष शशीरंजन ने कहा कि हमें वाटसअप विश्वविद्यालय के कचरे ज्ञान से फिर किताबों की ओर लौटना होगा। लेखक श्री राघव शरण शर्मा ने कहा कि सरकारें जनता के विरोध में है जो अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़ा वह किताब के पन्नों से ग़ायब है और जो अंग्रेजों के पिट्ठू रहे वो किताबों में है।

पूसू के पूर्व अध्यक्ष अंशुमन ने कहा कि हमें अपनें आचरण में भी सुधार की ज़रूरत है। राइट टू एजुकेशन फ़ोरम के सह संयोजक राजीव रंजन ने कहा कि नई शिक्षा नीति के रूप में हमें दबानें का प्रयास है।

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी सोशल मीडिया के चेयरमैन सौरभ सिन्हा ने अपनें धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि आज की शिक्षा के हालात के लिये कोई एक व्यक्ति या सरकार अकेले दोषी नहीं है। इसके लिये हम सब ज़िम्मेदार है।इसे एक अभियान नहीं वरना एक जीवन शैली के रूप में हम सबको अपनाना होगा।कलम सत्याग्रह का उद्देश्य शिक्षा के लिये जन-भागीदारी, जन-अधिकारपत्र एवं जन-अंकेक्षण जन-आंदोलन द्वारा स्थापित करना है। हमसे इस अभियान के साथ तन मन धन से हैं।

मंच का संचालन डा. मधुबाला ने किया। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर इस कलम सत्याग्रह को हम समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति के पास ले जायेगें। क्योंकि स्कूलें पहले उनकर पहुँचना आवश्यक है।
कार्यक्रम में डा. शेफाली राय, डा. अदिति त्यागी, डा. प्रदीप कुमार, अनीश अंकुर, अणु प्रिया, जयप्रकाश, रूपेश कुमार, रतन कुमार, रूसेन कुमार, कुमुद कुमार आदि महत्वपूर्ण लोगों ने भी भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *