AISF बिहार के फेसबुक पेज पर “हिन्दी साहित्य में प्रतिरोध के स्वर” पर व्याख्यान आयोजित
पटना (जागता हिंदुस्तान) हिंदी साहित्य में प्रतिरोध के स्वर पर ऑल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन(AISF) बिहार के पेज पर व्याख्यान आयोजित हुआ। इस मौके पर पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के शिक्षक डॉ. विनोद कुमार मंगलम मौजूद रहे।
उन्होंने कबीर को हिन्दी साहित्य में पहला प्रतिरोधी कवि बताते हुए कहा कि भरी सभा में कबीर से उनकी जाति पूछी गई। कबीर ने कहा कि “जात न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान”। वर्णाश्रम व्यवस्था पर प्रहार करते हुए कबीर ने कहा कि “तू जो बाभन-बभनी जाया, आन बाट तू क्यूँ नहीं आया। कबीर ने कहा कि तू मुझे या अपने को ब्राह्मण की औलाद समझने वाले क्या तू माँ के गर्भ से नहीं पैदा हुआ है क्या?ये प्रतिरोध के स्वर है। उन्होंने कहा कि कबीर ने हिन्दुओं और मुसलमानों को बराबर लताड़ा है। कबीर ने हिन्दुओं को कहा कि माला फेरत जुग गया, मिटा न मन का फेर। तो वहीं मुसलमानों का कहा कि कांकर पाथर जोरि के मस्जिद दियो बनाय, ता ऊपर मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।
जब इंसान प्रेम के रहस्य को नहीं समझ पा रहा था और हर जगह भटक रहा था। तब कबीर ने कहा पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ, पंडित भयो न कोई, ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।
उन्होंने तुलसीदास, रहीम, बिहारी,मुक्तिबोध की कई उक्तियों को उदधृत करते हुए प्रतिरोध के स्वर को समझाया।
उन्होंने कहा कि समाज का उत्पादक या मेहनतकश व मजदूर वर्ग की स्थिति भयावह है। अपनी प्रसिद्ध रचना तोड़ती पत्थर के माध्यम से निराला कहते हैं कि समाज का उत्पादक श्रमिक वर्ग जिसकी हालत काफी खराब है और कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं है। वहीं उपभोग करने वाले वर्ग के पास तमाम सुविधाएं प्राप्त हैं।
उन्होंने बातचीत की शुरुआत में कहा कि प्रतिरोध में प्रति उपसर्ग में रोध लगा हुआ है। प्रति का मतलब उल्टा होता है और मतलब रुकावट होता है।सामान्यतः रोध तीन हैं। अनुरोध, अवरोध एवं प्रतिरोध। मुट्ठियाँ तन जाए वही प्रतिरोध है।
प्रो. मंगलम ने कहा कि धूमिल ने पूछा कि क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगे का नाम है।जिसे थका हुआ पहिया ढोता है या इसका मतलब कुछ और होता है।धूमिल ने हीं कहा कि एक आदमी रोटी बेलता है, दूसरा रोटी खाता है।रोटी बेलना यानी उत्पादन करना, रोटी खाना मतलब उपभोग करना। धूमिल ने एक तीसरा आदमी भी है जो न तो रोटी बेलता है और न हीं रोटी खाता है, वह रोटी से खेलता है मैं पूछता हूँ कि यह तीसरा आदमी कौन है देश की संसद मौन है।
नागार्जुन ने आपातकाल के वक्त इंदिरा गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि इंदु जी, इंदु जी क्या हुआ, बाप को बोर दिया, कुल को तोड़ दिया। उन्होंने कई सवालों के जवाब भी दिए।