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बन्द कमरे में फिर मिले मांझी, कुशवाहा और सहनी, इस बार भी राजद-कांग्रेस नदारद

पटना (जागता हिंदुस्तान) कोरोना महामारी को लेकर जारी लॉकडाउन के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सुगबुगाहट भी तेज होने लगी है। मंगलवार को विकासशील इंसान पार्टी के कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी तथा रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की हुई मुलाकात को इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि तीनों नेताओं ने इस मुलाकात को चुनावी बैठक होने से इनकार किया है।

रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि अभी इस बैठक को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। वहीं, कुशवाहा ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने मजदूरों छात्रों एवं अन्य लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। राहत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है।

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा कि हम तीनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बात हुई, जिनमें विशेष तौर पर दूसरे राज्यों से बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूरों को लेकर चर्चा हुई, क्योंकि सरकार श्रमिकों पर कोई धयान नहीं दे रही है। तेजस्वी यादव के बैठक में शामिल नहीं रहने के सवाल पर कहा की तेजस्वी यादव होम क्ववारंटाइन में हैं, जिस वजह से मुलकात नहीं हुई। साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओ से भी बात नहीं हुई है।

वहीं, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कुछ भी कहने से इंकार किया कर दिया।

कांग्रेस ने बैठक पर कसा तंज

मांझी, कुशवाहा और मुकेश सहनी की बैठक पर कांग्रेस नेता प्रेमचन्द्र मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि शायद सभी नेता सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं इसलिए बैठक में उन लोगों को नहीं बुलाया। बैठक का कमरा छोटा होगा इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियम टूट सकता था। मिश्रा ने कहा कि आपस में बैठकर क्या चर्चा हुई ये वही लोग बता सकते हैं।

बता दें कि इससे पहले इसी वर्ष फरवरी माह में मांझी कुशवाहा और सैनी ने पटना के होटल चाणक्य में बंद कमरे के भीतर शरद यादव से मुलाकात की थी। इस बैठक की भी कांग्रेस और राजद को कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में बड़ी उथल-पुथल मच सकती है। गौरतलब है कि महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल राजद पर रालोसपा वीआईपी और हम पार्टी की अनदेखी का लगातार आरोप लगता रहा है।

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