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नेपाल : धूमधाम से मनायी गयी भगवान बसवेश्वर की 889वीं जयंती, मिनी मॉडल लाडो बानी पटेल बनीं आकर्षण का केन्द्र

बीरगंज (जागता हिंदुस्तान) नेपाल के बीरगंज में भगवान बसवेश्वर की 889वीं जयंती धूमधाम के साथ मनायी गयी। यहां 9 और 10 जुलाई को आयोजित दो दिवसीय “भगवान बसव अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन” बेहद भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ, जिसमें भारत समेत विभिन्न देशों से आये सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुये। इस दौरान जय बसवेश्वर के नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान रहा। विश्वभर से आये बसव के लोगों ने बीरगंज की धरती को भी बसवमय कर दिया।

मिनी मॉडल लाडो बानी पटेल बनी मुख्य अतिथि
बता दें कि सम्मेलन का आयोजन बिहार बसव साहित्य सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष इंद्रजीत प्रसाद पटेल के नेतृत्व में किया गया, जिसमें समाजसेवी व लाडो बानी फैंस क्लब ट्रस्ट की अध्यक्ष रागिनी पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। कार्यक्रम में बिहार की पहली व मशहूर मिनी मॉडल सह बाल कलाकार लाडो बानी पटेल मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं।

सेल्फी के लिये लगी लोगों की कतार
वहीं, कार्यक्रम में चर्चित बाल कलाकार लाडो बानी पटेल आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। इस दौरान लाडो के साथ सेल्फी लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। सभी लोगों ने लाडो को प्यार व आशीर्वाद दिया। सभी ने सराहना करते हुये कहा कि यह बच्ची ढाई साल की उम्र से महात्मा बसवेश्वर की सेवा में है, इसलिए इतना आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि महात्मा बसेशवर की कृपा बनी रहे और तुम हमेशा आगे बढ़ो और पूरे देश में तुम्हारा नाम हो।

पूर्व सांसद पप्पू यादव हुये शामिल
भगवान बसव अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सह जयंती समारोह में जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव भी शामिल हुये। इस अवसर 12वीं शताब्दी में समाज सुधार को लेकर महात्मा बसव द्वारा किये गये कार्यों का उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने लोगों से आह्वान भी किया की आज हमें महात्मा बसव के बताये रास्तों पर चलने की आवश्यकता है ताकि समाज में व्याप्त उंच नीच और कुरीतियों का समाप्त किया जा सके।

कौन थे महात्मा बसवेश्वर
लिंगायत समाज के दार्शनिक और समाज सुधारक महात्मा बसवेश्वर को हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था और अन्य कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए जाना जाता है. उन्हें विश्व गुरु, भक्ति भंडारी और बसव भी कहा जाता है. उन्होंने लिंग, जाति, सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी लोगों को बराबर अवसर देने की बात कही थी। उन्होंने समाज में गरीब-अमीर और जाति के आधार पर भेदभाव के खिलाफ आवाज उठायी. वह निराकार भगवान की अवधारणा के एक समर्थक हैं. संत बसवेश्वर का जन्म 1131 ईसवी में बागेवाडी (कर्नाटक के संयुक्त बीजापुर जिले में स्थित) में हुआ था.

यहां देखिए सम्मेलन की तस्वीरें:-

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