कैबिनेट के फैसले पर बोले प्रेमचंद्र मिश्रा, MLA/MLC के पैसों से कोरोना उन्मूलन चाहते हैं CM नीतीश
पटना (जागता हिंदुस्तान) कोरोना उन्मूलन को लेकर बिहार सरकार द्वारा मुख्यमंत्री, सभी मंत्रियों एवं विधायकों तथा विधान पार्षदों के वेतन में 1 साल तक 15% की कटौती के फैसले का बिहार कांग्रेस ने स्वागत करते हुए इस पर सवाल उठाए हैं। इस संबंध में कांग्रेस के विधान पार्षद सहित प्रदेश प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि बिहार सरकार के कैबिनेट के द्वारा कोरोना उन्मूलन को लेकर विधायकों-विधान पार्षदों के वेतन में कटौती संबंधी निर्णय का हम समर्थन करते हैं। यह जनप्रतिनिधियों का प्रथम दायित्व बनता है कि आपदा के घड़ी में आगे बढ़कर अपना योगदान दें।
उन्होंने कहा कि विधायकों और विधान पार्षदों ने पहले भी अपना एक महीने का वेतन और ऐच्छिक कोष से 50 लाख रुपये का योगदान दिया है।हमें आशा है कि राज्य के लोगों को कोरोना संकट से बचाने हेतु अब बड़े पदों पर बैठे आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भी खुद से आगे बढ़कर अपना सहयोग देना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा कहते रहते हैं कि राज्य के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का होता है, लेकिन यहां सरकार अपना खजाना खोलने की बजाय एमएलए और एमएलसी के द्वारा दिये पैसों से ही कोरोना उन्मूलन करना चाहती हैं? प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की भावना है कि उनके गृह जिले और निर्वाचन क्षेत्र में इन पैसों का सदुपयोग कोरोना उन्मूलन हेतु किया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह शिकायत मिली है कि मुफ्त अनाज देने की मुख्यमंत्री की घोषणा धरातल पर कहीं दिखाई नही दे रही है। और न ही प्रयाप्त संख्या में अभी तक पीपीई किट, जांच किट, सर्जिकल मास्क वेंटिलेटर, आईसीयू बेड का इंतेजाम हो सका है, जो चिंता का विषय है। आखिर सरकार धन का सदुपयोग क्यों नही कर रही है?
कांग्रेस एमएलसी ने कहा कि सरकार को अपनी फिजूलखर्ची पर भी रोक लगानी चाहिए तथा संयमित खर्च को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक विज्ञापनों से भी परहेज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह जानना चाहती है कि जब सरकार का कार्यकाल मात्र 5-6 महीने शेष बचे हैं तब उसने किस अधिकार से एक साल के लिए वेतन कटौती का निर्णय लिया है?