मुसलमानों को नारे और बहलावे में रखकर RSS के एजेंडे पर काम कर रही है नीतीश सरकार- एजाज अहमद
पटना (जागता हिंदुस्तान) जन अधिकार पार्टी (लो.) के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में 15 वर्षों के शासनकाल में नीतीश सरकार ने अल्पसंख्यकों को सिर्फ कोरा आश्वासन और भाषण के अलावा सर जमीन पर कुछ भी नहीं दिया है। जहां एक ओर अल्पसंख्यक वित्त निगम के माध्यम से गरीब और पिछड़े मुसलमानों को रोजगार के लिए राज्य सरकार द्वारा ऋण उपलब्ध कराने में कोताही बरती जा रही है वहीं छात्रवृत्ति योजना में भी उसी तरह के हालात हैं। मदरसा और उर्दू भाषी लोगों के साथ भेदभाव की नीति अपनाई जा रही है। मदरसा के आधुनिकीकरण के लिए कोई वित्तीय सहायता नही प्रदान की जा रही है और ना ही उर्दू को बढ़ावा देने के लिए उर्दू टाइपिस्ट, उर्दू ट्रांसलेटर की बहाली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। हद तो यह है कि उर्दू भाषी छात्रों को पुस्तक और शिक्षक भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। जहां उर्दू भाषा को रोजगार से जोड़ने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। वहीं बुनकरों की हालत दयनीय होती जा रही है। जहां बुनकरों के मान सम्मान की प्रतीक बुनकर सहयोग समिति बिहारशरीफ के भवन को राज्य सरकार ने नीलाम कर दिया है। वही अल्पसंख्यक छात्रावास अब पुलिस बैरक में तब्दील हो चुका है, जिस कारण अल्पसंख्यक समाज के छात्र बेहतर शिक्षा के लिए इस छात्रावास का इस्तेमाल भी नहीं कर पा रहे हैं, और इनके लिए कोई सुविधाएं नहीं मिल रही है।
एजाज ने आगे आरोप लगाया कि बिहार सरकार ने 15 वर्षों के शासनकाल में अल्पसंख्यक आयोग को पूरी तरह से पंगु बना दिया है जहां पहले अल्पसंख्यक आयोग को कानूनी मान्यता प्राप्त था वही अब यह शोभा की वस्तु बन गया है ।हद तो यह है कि वर्ष 2005 के बाद अब तक अल्पसंख्यक आयोग की एक भी रिपोर्ट को विधानमंडल के सदन के पटल पर नहीं रखा जा सका जिस कारण अल्पसंख्यकों के स्थिति का सही आकलन और उस पर चर्चा भी रिपोर्ट के आधार पर विधानमंडल में नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि 15 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति को सर्दखाने में डाल दिया गया है और वर्ष 2009 के बाद अब तक इस समिति का गठन नहीं किया गया है। जिस कारण 15 सूत्री कार्यक्रमों की निगरानी और योजनाओं की भागीदारी से अल्पसंख्यक समाज वंचित है। अल्पसंख्यकों को बुनियादी तालीम के लिए घोषित किए गए तालीमी मरकज को भी राज्य सरकार की ओर से घोषणा के बाद इस पर अमल नहीं किया गया है ।
अहमद ने कहा कि एमएसडीपी योजना को भी बेदम कर दिया गया जिसके कारण अल्पसंख्यक बहुल दिलों कटिहार ,अररिया, पूर्णिया ,किशनगंज, दरभंगा, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण जैसे इलाकों के मुसलमानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है और बुनियादी सुविधा तथा तकनीकी शिक्षा और विकास से इन इलाकों को दूर रखा जा रहा है। इस योजना से इन ज़िलों में सड़क, अस्पताल, स्कूल, पेयजल जैसी योजनाओं के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के द्वारा इसे खर्च किया जाना था ,लेकिन यह भी सरजमीन पर नहीं उतर सका। बिहार में संप्रदायिक सद्भाव पूरी तरह से समाप्त हो गया है और सांप्रदायिक शक्तियों को फलने फूलने का लगातार मौका मिल रहा है जिस कारण संप्रदायिक घटनाओं तथा मोब लिंचिंग में निरंतर वृद्धि हो रही है सरकार की ओर से सांप्रदायिक शक्तियों पर कार्रवाई की जगह मौन धारण किया जा रहा है ,क्योंकि भाजपा के साथ सरकार चलाने के लिए सांप्रदायिक शक्तियों को फलने फूलने का मौका दिया जाना आवश्यक है ।और बिहार में सरकार मुसलमानों को नारो और बहलावो में रखकर आर एस एस के एजेंडे के अनुसार काम कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक पप्पू यादव के नेतृत्व में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे भेदभाव तथा दोहरी नीति के विरोध में एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगी।