अब PARAS HOSPITAL बहरेपन का करेगा इलाज, जन्मजात समस्या भी होंगी दूर
पटना (जागता हिंदुस्तान) पटना के प्रतिष्ठित पारस एचएमआरआई अस्पताल में अब किसी भी तरह के बहरेपन का इलाज हो सकेगा। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने जन्मजात बहरे बच्चे और बुजुर्गों के इलाज के लिए प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को फ्री क्लीनिक चलाने का फैसला किया है।
दरअसल पिछले 10 साल से बहरा होने के कारण अपनी नौकरी गंवा चुके 60 वर्षीय बुजुर्ग के कान के अंदर पारस अस्पताल में कॉकलियर नामक यंत्र लगाकर उन्हें पहले की तरह सुनने के काबिल बनाया गया। खास बात यह है की बिहार में किसी भी निजी अस्पताल में इस तरह का यंत्र पहली बार लगाया गया है।
कॉकलियर यंत्र लगाने वाले ईएनटी के विशेषज्ञ डॉक्टर अभिनीत लाल ने बताया कि 4 साल से कम उम्र के बच्चे पर यह यंत्र काफी अच्छा काम करता है। वह सामान्य ढंग से सुन सकता है। उन्होंने कहा कि यह यंत्र उसी अस्पताल में लगाया जा सकता है, जहां ईएनटी के विशेषज्ञ के साथ-साथ सर्जरी की सभी सुविधाएं उपलब्ध हों।
डॉक्टर लाल ने कहा कि हमारे अस्पताल में डॉक्टरों की टीम काम करती है और सर्जरी के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है, इसलिए हम इस तरह का यंत्र लगा पाए हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की सर्जरी काफी मुश्किल होती है और जरा सी चूक के कारण मरीज का पूरा चेहरा लकवाग्रस्त हो सकता है।
वहीं अस्पताल के रीजनल डायरेक्टर डॉ. तलत हलीम ने बताया कि हम बहरापन दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता लाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को पारस अस्पताल में बहरेपन की जांच के लिए मुफ्त क्लीनिक का आयोजन किया जाएगा, जिसमे आकर मरीज़ मुफ्त जांच करा सकते हैं, इसके लिए उन्हें केवल पहले यहां रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उन्होंने कहा कि जिन्हें हीयरिंग एड से भी सुनाई नहीं दे रहा है, वह कॉकलियर यंत्र से सुन पाएंगे। डॉक्टर हलीम ने बताया कि इस यंत्र से पूर्ण रूप से बहरा घोषित मरीज भी सुन सकेगा। उन्होंने बताया कि यह काफी महंगा है, इसलिए मुख्यमंत्री राहत कोष से एक तय रकम मिल जाने की संभावना रहती है।
उन्होंने कहा कि जिस 60 वर्षीय बुजुर्ग की सर्जरी पारस अस्पताल में की गई, उसमें आने वाले 5 लाख रूपये के खर्च में से ढाई लाख तो मुख्यमंत्री राहत कोष से मिल गया लेकिन बाकी के ढाई लाख ईएनटी सर्जन अभिनीत लाल ने अपनी तरफ से दिया। इसके अलावा अस्पताल ने मरीज की सर्जरी समेत तमाम खर्चे उठाए। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम इस तरह के मरीज के पूरे खर्च तो माफ नहीं कर पाएंगे, लेकिन उसे कम जरूर करेंगे।
डॉक्टर हलीम ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष से मिलने वाली रकम के लिए अस्पताल मरीजों के दस्तावेज तैयार कराने में पूरी मदद करता है ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हो।