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कांग्रेस को कब्रिस्तान में दफन करके ही दम लेगा ओबीसी-ईबीसी समाज- भाजपा

पटना (जागता हिंदुस्तान) बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने ओबीसी के सवाल पर भाजपा पर निशाना साधने को लेकर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस के लोग पुराने नेताओं का नाम गिनाकर 54 फीसदी आबादी वाली ओबीसी- ईबीसी समाज पर अहसान न जतायें क्योंकि जबतक कांग्रेस जिंदा रही इसी समाज के कंधे पर पार्टी का वजूद टिका था। लेकिन पिछले 30 सालों में कांग्रेस ने ओबीसी- ईबीसी को इतिहास का पाठ पढ़ा कर झाँसा देने और बेवकूफ बनाने के अलावा कुछ नहीं किया है। इसी कारण समस्त पिछड़ा समाज ने कांग्रेस की अर्थी उठाकर सही मुहुर्त पर कब्रिस्तान में दफन करने का मन बना लिया है।
 
निखिल आनंद ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 135 साल के इतिहास में जितने ओबीसी-ईबीसी नेताओं को टिकट दिया होगा उससे 10 गुणा ज्यादा सिर्फ 40साल में भाजपा ने राष्ट्रीय एवं प्रदेश संगठन में नेता, राज्यों में मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री, केंद्र एवं राज्यों में मंत्री और सांसद एवं विधायक आदि बनाये हैं। आज देश में दलित समाज के राष्ट्रपति है तो प्रधानमंत्री अति- पिछड़ा समाज से हैं। भाजपा संगठन में राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक ओबीसी- ईबीसी समाज के नेताओं की भरमार है। नित्यानंद राय, सुशील कुमार मोदी, प्रेम कुमार, विनोद कुमार, ब्रज किशोर बिंद जैसे ओबीसी-ईबीसी लोग आज देश- प्रदेश की सरकार में मंत्री हैं। देशभर में लगभग 80 % ओबीसी-ईबीसी सांसद- विधायक सिर्फ भाजपा से हैं।
 
निखिल आनंद ने कहा कि बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष और उनके चार कार्यकारी अध्यक्ष में एक भी ओबीसी- ईबीसी नहीं है। ओबीसी- ईबीसी समाज के लोग न तो कांग्रेस की वर्किंग कमिटी में हैं और न ही कार्यसमिति में हैं। कांग्रेस में अनिल शर्मा और अशोक चौधरी आखिरी प्रदेश अध्यक्ष थे जिन्होंने आधिकारिक तौर पर प्रदेश संगठन घोषित किया था।

उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि 2017 के बाद से बिहार कांग्रेस के प्रदेश संगठन की घोषणा नहीं हुई है। यानि आज की तारीख में कांग्रेस एक मरी हुई संगठन वाली पार्टी है जो वजूद में दिखने के लिए गुब्बारे की माफिक हवा डालकर फुली हुई है। इन दिनों बिहार कांग्रेस के सारे प्रदेश प्रवक्ता स्वयंभू स्वयंघोषित तौर पर बयान देते हैं। 2017 के बाद तो बिहार में कांग्रेस संगठन का वजूद ही नहीं है बल्कि सिर्फ कागजी पार्टी बनकर रह गई है।

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