आत्मनिर्भर भारत : पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था को त्वरित गति की बजाय झांसा देने की कोशिश की- ललन कुमार
पटना (जागता हिंदुस्तान) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। इसी क्रम में कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी व विश्व के जाने माने अर्थशास्त्रियों के सुझाव अनुसार आम आदमी, गरीब मजदूर, किसान, छोटे व्यवसायी, असंगठित कामगारों के छीने कामों को पुन: त्वरित गति देने के लिए मुद्रा वितरण कर अर्थव्यस्था को बहुत तेजी से पटरी पर लाना था, लेकिन दबाव में आये प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को त्वरित गति देने के बजाय झांसा देने की ही कोशिश की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की 20 लाख करोड़ पैकेज की घोषणा में से 66 प्रतिशत पूर्व की बजटीय योजनाओं में से है और वित्त मंत्री द्वारा 6 लाख करोड़ की विस्तृत जानकारी देते ही ये 6 लाख करोड़ भी झांसा पैकेज सिद्ध हो गया। युवा कांग्रेस नेता ने कहा कि या तो प्रधानमंत्री को पैकेज का मतलब नहीं पता या सबकुछ जानते हुए जनता को झांसे में रखने की आदत सी है। अधिकांश घोषित राशि छूट है या छूट की समय सीमा बढाई गयी है, उसके अनुमानित राशि को पैकेज कहना ही गलत है।
ललन कुमार ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर, कुटीर उद्योग व आम जनता तक के निजी ऋण के लिए 30 हजार करोड़ की राशि बहुत ही छोटी राशि है। इससे ज्यादा राशि तो पिछले बजट में एमएसएमई सेक्टर के लिए घोषित की गयी थी। तब भी यह अमाउंट लोन लेना होगा जिसका गारंटर केंद्र होगा और ये चार वर्षों का लोन होगा। कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि फिर ये पैकेज कैसे है?
उन्होंने कहा कि पीएफ, टीडीएस व डायरेक्ट टैक्स में समय सीमा की छूट या टैक्स की छूट दी गयी है, जो कि अच्छा कदम तो है पर पैकेज नहीं है। इससे इकोनॉमी में वांछित तेजी नहीं आयेगी। डिस्कॉम सेक्टर का 90 हजार करोड़ का गारंटर भी राज्य सरकार को ही बनना है तो इसमें केंद्र कहां है? पैकेज कहां है? अनुमानित 45 हजार करोड़ का रेलवे, सडक़ व पीपीपी मोड वाले या अन्य निर्माण कार्य कर रहे कॉन्ट्रैक्टर्स को बैंक गारंटी व समय सीमा की सुविधा दी गयी है। बैंक गारंटी के गारंटर राज्य होंगे, इसको पैकेज कैसे कहेंगे? वैसे ही रियल एस्टेट सेक्टर को भी समय सीमा या लाइसेंस अपग्रेडेशन की सुविधा दे राशि का अनुमान लगा लिया गया है।
ललन कुमार ने कहा है कि पूरा पैकेज ही झांसा लगता है। सरकार वहीं की वहीं है। क्योंकि ये इनकी मजबूरी भी है। सबकुछ जब लुटा चुके हों तो घोंषणा क्या कर सकते है, झांसा दे सकते हैं। पूर्व और भविष्य के खर्चे जोड़ अनुमान बताना पैकेज नहीं होता।