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एंडोस्कोपी विधि से प्रोस्टेट और यूरिन संबंधित समस्या का निदान संभव- डॉ. प्रभात रंजन

पटना (जागता हिंदुस्तान) जयप्रभा मेदांता अस्पताल में मूत्र रोग और गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग के निदेशक डॉ. प्रभात रंजन के अनुसार प्रोस्टेट ग्रंथी से जुड़ी समस्या काफी आम है। बीपीएच (बिनायन प्रोस्टेटिक हाईपरप्लासिया) और प्रोस्टेट कैंसर दो प्रमुख समस्या है। बीपीएच में प्रोस्टेट ग्रंथी बड़ी हो जाती है, जबकि प्रोस्टेट कैंसर में कैंसरयुक्त ट्यूमर हो जाता है। इन दोनों तरह की बीमारी के ज्यादातर लक्षण समान हैं। बीपीएच को ही पेशाब के रास्ते में मांस आना बोलते हैं।

डॉ. प्रभात के अनुसार इन दोनों बीमारियों में बार-बार पेशाब होना, रात में बार-बार पेशाब होना, जल्दबाजी में पेशाब होना या पिशाब लगने पर नियंत्रण नहीं कर पाना, पेशाब की धार कमजोर होना, पेशाब करने के समय जोर लगाना, रूक-रूक कर पेशाब होना आदि की समस्या होती है। कैंसर में पिशाब में खून भी आता है। प्रोस्टेट ग्रंथी में सिकुड़न की भी समस्या होती है। इसे फाइबरस प्रोस्टेट बोलते हैं। बीपीएच वाला लक्षण ही इसमें भी रहता है। वैसे, प्रोस्टेट ग्रंथी सेक्स और फर्टिलिटी से संबंधी होता है। इसकी पेशाब में कोई भूमिका नहीं होती है। प्रोस्टेट की बीमारी अमूमन 50 वर्ष से अधिक के लोगों में ही होता है।

बीपीएच, सिकुड़न और पथरी का पूर्ण इलाज मौजूद
बीपीएच का इलाज तो काफी सरल हो गया है। इंडोस्कोपी विधि से इलाज किया जाता है। इलाज शुरू करने से पहले अल्ट्रासाउंड, रक्त और पेशाब की जांच तथा पेशाब की धार की जांच की जाती है। पेशाब की धार की जांच को यूरोफ्लोमेट्री बोलते हैं। इन्हीं जांच से बीपीएच का पता चलता है। हल्के केस में मेडिसीन से ही इलाज करते हैं। यदि समस्या ज्यादा है और सिर्फ मेडिसीन से इलाज नहीं किया जा सकता है तो सर्जरी करते हैं। इसी तरह पिशाब की थैली में पथरी इंडोस्कोपिक तकनीक से तोड़ कर निकाला जाता है और साफ किया जाता है। इस समस्या में पेशाब में खून आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब बार-बार लगना और पेशाब के अंत में पेशाब के रास्ते के आसपास दर्द होना आदि लक्षण होते हैं।

प्रोस्टेट से बाहर नहीं फैले कैंसर का भी इलाज संभव
वहीं कैंसर में यदि कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथी से बाहर नहीं फैला है तो इलाज पूर्णत: संभव है। इसमें रेडिकल प्रोस्टेट सर्जरी करते हैं जिसमें पूरा प्रोस्टेट निकाल देते हैं। आसपास का भाग भी साफ कर देते हैं। लेकिन अगर कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि से बाहर फैल गया तो बीमारी से मुक्ति संभव नहीं है। सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। इस इलाज को पैलिएशन एंड सिम्प्टोमिक ट्रीटमेंट कहते हैं।

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