HEALTH

बिहार में रोबोटिक सर्जरी को नया चेहरा मिला, विदेश से आये मरीज़ भी हैं पूरी तरह स्वस्थ

पटना । अनूप सुपर स्पेशिलिटी यूनिट जो सवेरा अस्पताल कैम्पस के पांचवें तल्ले पर कंकड़बाग, पटना में है, के मेडिकल निदेशक डॉ. आशीष सिंह ने कहा कि यहां रोबोटिक मशीन से घुटनों और कूल्हो के प्रत्यारोपन के लिए देश-विदेश से मरीज आ रहे हैं, जो बिहार के लिए गौरव की बात है। इंग्लैंड से आए एक मरीज के दोनों घुटनों का रोबोटिक सर्जरी के द्वारा ट्रांसप्लांट किया गया और चार घंटे के बाद उसे खड़ा किया गया।एक साल कि बाद भी घुटने में किसी तरह की समस्या नहीं आयी है ।

‘‘हाल ही में आये मरीज़ ने बताया की मुझे यू.के. और यू.एस.ए. के सर्वश्रेष्ठ हाॅस्पिटलों में भर्ती कराया गया लेकिन वास्तव में मेरी संतुष्टि पटना में हुई। चाहे वो खाना हो, सर्जरी हो या यहां के आसपास के लोग हों- आपको इस कीमत पर इससे बेहतर कुछ नहीं मिलेगा। मैं बताता हूं कि डाॅ. आशीष सिंह निराश नहीं करेंगे।’’ यह कहना है 78 साल के लंदन (यू.के.) के मरीज का जिसके दोनों घुटने का रिप्लेसमेंट एक साथ बिहार के पटना के कंकड़बाग, सवेरा अस्पताल परिसर की पांचवीं मंजिल पर स्थित अनूप सुपरस्पेसिलिटी यूनिट में उपलब्ध बेहतर तकनीक का उपयोग कर किया गया।
यह सर्जरी सफल रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में निरंतर सफलता का प्रतीक है जिसने स्थापना के केवल तीन वर्षों के भीतर 1000 से अधिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट किये, जिससे विश्व में इसकी ख्याति बढ़ी।

यह वास्तव में बिहार के लिए गौरव की बात है क्योंकि यह चिकित्सा पर्यटक के लिए एक स्थल बन गया है। लंदन का 78 वर्षीय मरीज आस्टियो आर्थराइटिस से पीड़ित था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 2019 तक आर्थराइटिस से 52.8 करोड़ लोग पीड़ित थे।

इसी तरह कितने मरीज जो यहाँ से ठीक हो कर गए है वो डॉ आशीष सिंह के तारीफ़ का पुल बाँध रहे है क्यूँकि उनकी वजह से वो अपने पैरों पर चल रहे है जिसकी उन्होंने आस भी छोड़ दी थी ।

देश के विभिन्न कोनों से लेकर विदेश के कई स्थानों से डॉ. आशीष से इलाज कराना आम बात सी दिख रही है। सर्जरी के बाद 15 दिन के अंदर काफ़ी मरीज़ वॉकर , स्टिक सब छोड़ कर चलने लगते है ।डॉ. आशीष के अद्वितीय तकनीकी कौशल, चुनौतीपूर्ण मामलों जो कई डॉक्टर्स रिजेक्ट कर देते हैं, करने से उन मरीजों को जिंदगी देना और उनको उनके रोजमर्रा की जिंदगी में वापस लाना एक अनोखा अनुभव प्रदान कर रहा है। अद्वितीय मामलों की श्रृंखला काफी लंबी हो गई है जिसके ऊपर शोध प्रकाशन भी हो रहे हैं। यह अस्पताल न केवल अपने काम के लिए बल्कि यहाँ पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षण / अनुसंधान संस्थान भी है जो भारत में काफी कम अस्पतालों को इसकी मान्यता है।साथ ही आयुष्मान और सीजीएचएस के मरीज भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सरकारी दरों पर रोबोटिक तकनीक का लाभ उठा रहे हैं ।

रोबोटिक प्रणाली ने घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी को 3-4 घंटे से घटाकर केवल 40 से 50 मिनट में कर दिया है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया के बाद मरीज 4 से 5 घंटे के भीतर अपने पैरों पर खड़े हो जाए।

सर्जनों और मशीनरी की सर्वोत्तम टीम, निर्बाध आतिथ्य और सबसे तेज रिकवरी के साथ बजट अनुकूल हाॅस्पिटल होने का अतिरिक्त लाभ भी इसे मिलता है। उन्होंने कहा कि सर्जरी के तीन सप्ताह बाद 10 में 9 मरीज बिना सहायता के चलने लगते हैं। 85 प्रतिशत मरीज सर्जरी के छह सप्ताह के भीतर अपने काम पर लौट जाते हैं। डाॅ. आशीष कहते हैं कि सबसे अच्छी बात यह है कि कोई भी व्यक्ति सामान्य सर्जरी की कीमत पर रोबोटिक सुविधाओं का लाभ उठा सकता है। पहले घुटने रिप्लेसमेंट सर्जरी में दो लाख रुपये तक का खर्च आता था, लेकिन अब प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्डधारकों के लिए फायदेमंद हो गया है।

इस एक्सटेंशन यूनिट में तैनात चिकित्सा टीम मरीज के ठीक होने में काफी मदद करते हैं और बिना किसी अतिरिक्त लागत के देखभाल करने के डाॅ. आशीष सिंह के मिशन में खरी उतरती है।

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