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सीड और एशिया फाउंडेशन द्वारा भारत-नेपाल सब-नेशनल एनर्जी ट्रेड विषय पर वेबिनार का आयोजन

पटना (जागता हिंदुस्तान) सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और द एशिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में भारत और नेपाल के बीच सबनेशनल एनर्जी ट्रेड विषय पर एक वेबिनार/ परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच अक्षय ऊर्जा आधारित व्यापर और विनिमय को बढ़ावा देना था, जिसमें बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे सीमावर्ती राज्यों की प्रमुख भूमिका होगी।

इस वेबिनार में अश्विनी अशोक (हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड), डॉ आशुतोष शर्मा (एरिया कन्वेनर, इराडे), चंद्र किशोर झा (वरिष्ठ पत्रकार और ‘कांतिपुर’ में कॉलमनिस्ट), सुबोध सिंह (पूर्व अध्यक्ष, आरई कमिटी, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन), और डॉ अभिजीत घोष (अर्थशास्त्री, ए.एन. सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज, पटना) पैनल में बतौर वक्ता शामिल थे।

विषय-प्रवेश करते हुए अश्विनी अशोक (हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड) ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के स्तर पर नेपाल के साथ सब-नेशनल एनर्जी ट्रेड का मुख्य आधार यह है कि नेपाल मुख्य रूप से हाइड्रो पावर के मामले में धनी राष्ट्र है और यूपी और बिहार सौर ऊर्जा के मामले में अग्रणी हैं. सब-नेशनल एनर्जी ट्रेड को गति देने के मामले में दोनों ओर मौसम संबंधी कारक है, जैसे मानसून के सीजन में बिहार और यूपी में सोलर उत्पादन कम होता है, वहीँ खूब बारिश के हालात में नेपाल में हाइड्रो पावर का खूब उत्पादन होता है और इससे पैदा ऊर्जा का आयात किया जा सकता है. वहीँ दूसरी ओर पीक गर्मी के सीजन में सोलर का ज्यादा उत्पादन होता है और ऐसे समय में बिहार/यूपी राज्य से सोलर ऊर्जा को नेपाल को निर्यात कर वहां ऊर्जा की कमी को पाटा जा सकता है.

डॉ आशुतोष शर्मा (एरिया कन्वेनर, इराडे) ने बताया कि भारत और नेपाल में ऊर्जा और इसके उत्पादन स्रोतों की स्थिति बहुत अलग है. नेपाल में ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं बहुत अधिक है लेकिन वहां मांग कम है। भारत और नेपाल दोनों को एक दूसरे की जरुरत है, क्योंकि नेपाल के पास आने वाले समय में उपयोग से ज्यादा बिजली होगी तो वहीँ भारत में मांग और बढ़ेगी. ऐसे में नेपाल भारत को बिजली बेच सकता है । भारत और नेपाल एनर्जी ट्रेड के लिए ओपन एक्सेस, पावर पूल और मार्किट बेस्ड इलेक्ट्रिसिटी डिस्पैच से रास्ता काफी आसान होगा, जिसे सब-नेशनल एनर्जी ट्रेड से गति मिलेगी।

वरिष्ठ पत्रकार चंद्र किशोर झा ने नेपाल के दृष्टिकोण से भारत-नेपाल एनर्जी सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। दोनों के बीच जन-जन का संबंध है। नेपाल में 83 हज़ार मेगावाट ऊर्जा उत्पाद करने की क्षमता है, लेकिन कई तरह की राजनीतिक और प्रशासनिक समस्याओं के कारण इतना उत्पादन नहीं हो रहा है। नेपाल पनबिजली आधारित हाइड्रो पावर के क्षेत्र में कार्य कर सकता है। अब समय आ गया है कि हम जन-जन के साथ ‘जन-जल’ का संबंध बनाये।

बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन में रिन्यूएबल एनर्जी कमिटी के पूर्व अध्यक्ष सुबोध सिन्हा ने कहा कि हाल में कुछ मुद्दों को लेकर दोनों देशों के बीच मतभेद उभरे है, ऐसे में संबंधों में सुधार बिज़नेस और एनर्जी ट्रेड के लिहाज से जरूरी है, साथ ही निवेशकों को समुचित माहौल देने की जरूरत है. ओपन सिस्टम और बेहतर फाइनैंसिंग से इस काफी बढ़ावा मिलेगा।

डॉ अभिजीत घोष (अर्थशास्त्री, ए.एन. सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज) ने कहा कि भारत-नेपाल एनर्जी ट्रेड में आने वाली बाधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि नेपाल अपने कुल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 66 फीसदी व्यापार भारत के साथ करता हैं. दोनों देशों के बीच ट्रेड एंड ट्रांजिट पॉइंट पर जरूरत से ज्यादा अधिक समय लगता है. इसी तरह दोनों के बीच वाटर मैनेजमेंट के मुद्दे को भी सुलझाने की जरूरत है। ऐसी कई समस्याओं को दूर कर व्यापार को और बढ़ाया जा सकता है।

वेबिनार का संचालन अरविंद कुमार ठाकुर, प्रोग्राम डायरेक्टर-सीड ने किया। वक्ताओं ने एक मत से स्वीकार किया कि दोनों देशों के पास सुअवसर है कि वे सब-नेशनल ट्रेड के जरिये अपने यहां ऊर्जा की कमी से निबटे और आपस में तालमेल बैठकर आर्थिक विकास को गति देते हुए क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दें. इस वेबिनार में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र से जुड़े संगठनों, इंडस्ट्रीज, थिंक टैंक, पटना यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बिहार, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी सहित कई संस्थाओं और एनर्जी कलेक्टिव और मदर्स नेटवर्क से जुड़े 60 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

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