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सोनापति संस्था ने कालिदास रंगालय में किया नाटक ‘परिणति’ का मंचन, प्रस्तुति देखकर दर्शक हुए भावुक

पटना (जागता हिंदुस्तान) रंगमंच के क्षेत्र में राजधानी पटना के मशहूर कालिदास बंगाली में सोमवार को सोनापति संस्था ने मशहूर नाटक ‘परिणति’ का मंचन किया। कार्यक्रम में उद्घाटन करता के तौर पर श्री पटन देवी जी गौ मानस संस्थानम के संस्थापक सह अध्यक्ष बाबा विवेक द्विवेदी जबकि मुख्य अतिथि के तौर पर मशहूर लेखक सतीश प्रसाद सिन्हा के स्थान पर उनके बेटे शामिल हुए।

सुभाष चंद्रा के निर्देशन में प्रस्तुत किए गए नाटक ने अपनी शुरुआत के साथ ही दर्शकों का दिल जीत लिया। नाटक जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया दर्शक बेहद गंभीरता के साथ प्रस्तुति से जुड़े रहे। नाटक में मुख्य किरदार बनवारी की भूमिका में खुद निर्देशक सुभाष चंद्र ने बेहद सशक्त भूमिका निभाई। जबकि बनवारी के पिता बटेसर के किरदार में रंगमंच के मशहूर कलाकार ओम कपूर ने दर्शकों की वाहवाही बटोरी। वहीं, माधुरी शर्मा ने मां फूलमती के किरदार को बेहद गंभीर और मंझे हुए अंदाज में पेश कर दर्शकों को भावुक कर दिया। इनके अलावा श्रीधर के किरदार में उपेंद्र सिंह, सुबोध के किरदार में संजीव कुमार सिंह और बिछड़े हुए बेटे के किरदार में विवेक कुमार ओझा ने बेहतरीन अदाकारी की। कुल मिलाकर नाटक परिणीति के मंच ने उपस्थित दर्शकों का पूरी तरह से मोह लिया।

नाटक के निर्देशक और मुख्य किरदार बनवारी की सशक्त भूमिका निभाने वाले सुभाष चंद्रा ने कहा कि बतौर निर्देशक उन्होंने अपना काम पूरी शिद्दत से किया है। बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस कड़ाके की ठंढ में खुले आसमान के नीचे नाटक के अन्य किरदारों के साथ रिहर्सल किया। फिर भी बहुत कम समय में दर्शकों के सामने नाटक प्रस्तुत किया। चंद्रा ने कहा कि इससे पहले उन्होंने दर्जनों नाटकों में सह निर्देशन का काम किया है। उन्होंने कहा कि मेरी पहली सम्पूर्ण निर्देशकीय प्रस्तुति में अगर कहीं से कोई सुझाव बनत है तो मुझे आपका सुझाव सहर्ष स्वीकार है।

नाटक के समापन के बाद सोनापति संस्था के द्वारा सभी कलाकारों एवं पर्दे के पीछे से नाटक में सहयोग करने वाले दिलीप पांडे, विधांशु पाठक, जूली कुमारी, भारती नारायण, सुनील शर्मा एवं संजय किशोर समेत अन्य लोगों को सम्मानित किया गया।

वहीं, अस्वस्थता के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके मशहूर नाटककार सतीश प्रसाद सिन्हा के स्थान पर उनके बेटे को शॉल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

बता दें कि फ्रैंक काफ्काज लिखित नाटक ‘परिणति” एक ऐसे परिवार की कहानी है, जो दौलत की खातिर अपने ही खून के प्यासे हो जाते हैं। नाटक के माध्यम से ये दर्शाया गया है कि धन-दौलत की लालच में आज लोग अपने रिश्ते-नाते, दोस्ती और ईमानदारी तक बेच देते हैं और एक दूसरे को नुकसान पहुँचाते रहते हैं। प्रस्तुत नाटक “परिणति” में कुछ ऐसे ही ताना-बाना बुना गया है, जिसमें एक मछुआरा सौतेला बेटा और पत्नी के साथ रहता है। सौतेला बेटा नशे में धुत होकर रोज अपनी माँ को गाली गलौच करता है। मारता पीटता है। नशे कि लिए रूपये पैसे मांगता है और उसका बाप भी नशे का आदि है और नशे में हमेशा धुत रहता है। वहीं, इसका एक छोटा बेटा जो कि किसी मेले में बचपन में बिछड़ गया था। किसी तरह उस गाँव मे आता है, बहुत सारे रूपये पैसे लेकर अपने माँ-बाप और भाई को खोजते हुए आता है और रूपये पैसे के साथ अपने ही घर में अतिथि के रूप में रहता है, उसके पास ढेर सारे रूपये देखकर लालच में आकर उसके भाई और बाप उसकी हत्या कर देते हैं। बाद में मालूम होता है कि वो मेले में बिछड़ा हुआ अपना ही खून है तो वे लोग पश्चताप करते हुए रोने गिड़गिडाने लगते हैं और कहते हैं कि लालच सब कुछ खा गया।

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