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निःशुल्क शिक्षा का राज्य सरकार का आदेश जमीनी तौर पर लागू नहीं- AISF

पटना (जागता हिंदुस्तान) एआईएसएफ ने कहा है कि छात्राओं एवं एससी-एसटी के छात्रों की पीजी तक निःशुल्क शिक्षा का आदेश लागू है। राज्य सरकार के आदेश 24 जुलाई 2015 से ही नामाकंन के वक्त सभी छात्राओं एवं एससी, एसटी के छात्रों से एडमिशन के समय किसी प्रकार का शुल्क नही लिया जाना है, लेकिन हर शैक्षणिक सत्र में पैसे धड़ल्ले से लिये जा रहे हैं। वहीं हर वर्ष कॉलेजों को होने वाली क्षति की भरपाई सरकार को करनी है। लेकिन आज भी सरकार का यह आदेश पूरी तरह लागू नही हो पाया है।न कॉलेज पैसा लेने पर रोक लगा रही है और ना हीं सरकार कॉलेजों को होने वाली आर्थिक क्षति की भरपाई कर रही है।

एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार ने कहा कि नवम्बर 2014 में एआईएसएफ ने बेगुसराय में राज्यस्तरीय छात्रा कन्वेंशन किया था। जिसमें सभी छात्राओं को पीजी तक निःशुल्क शिक्षा दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से एआईएसएफ प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर बिहार में समान स्कूल प्रणाली लागू करने की मांग की थी। प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से सभी छात्र-छात्राओं को पीजी तक मुपत शिक्षा का आदेश देने की मांग की थी। प्रतिनिधिमंडल ने बेगुसराय में आयोजित छात्रा कन्वेंशन के द्वारा पारित प्रस्ताव जिसमें कहा गया था कि सभी छात्राओं को पीजी तक मुफ्त शिक्षा दिया जाए की प्रति भी मुख्यमंत्री को सौंपा था।

उन्होने कहा कि सरकार का बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं का नारा बिल्कुल जुमला साबित हो रहा है। सरकार के आदेश के बाद भी छात्र छात्राओं से नामांकन शुल्क सरेआम वसूला जाता हैं और यह सरकार मूकदर्शक बनी रहती है। उच्च शिक्षा की दहलीज पर बेटियों का हौसला टूट रहा है। 16 लाख 66 हजार 299 बेटियां हर साल नर्सरी में एडमिशन लेती है, लेकिन 2 लाख 75 हजार 200 ही इंटर तक रह पाती है। यू-डायस के रिर्पोर्ट ने राज्य के शिक्षा ब्यवस्था पर सवाल खड़ा किया था। आकड़ों के मुताबिक हर साल बेटियां स्कूल में तो पहुॅंचती है। लेकिन काॅलेज पहुॅंचते-पहुॅचते उनकी संख्या में हजार नही लाखों की कमी होती है। एआईएसएफ इस सवाल पर सड़क से हाई कोर्ट तक संघर्षरत है। पटना हाई कोर्ट में अधिवक्ता रितिका रानी के माध्यम से एआईएसएफ द्वारा दायर जनहित याचिका में मुख्य न्यायधीश संजय करोल एवं एस कुमार की खंडपीठ ने तीन मार्च को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि दो सप्ताह के अंदर में पूरे मसले का निष्पादन करे।

एआईएसएफ की राष्ट्रीय परिषद सदस्य अनुष्का आर्या ने कहा कि यह सरकार छात्राओं एवं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि छात्राओं एवं एससी, एसटी छात्रों से सरकार के आदेश के बावजूद शुल्क लिए जाने की जानकारी कुलाधिपति, कुलपति, शिक्षाक् मंत्री, अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग एवं जिम्मेदार लोगों को भी इसकी जानकारी है। यह सरकार अपने ही आदेश का पालन नही करके यह साबित कर रही है कि यह सरकार छात्र एवं जन विरोधी है। आज आवश्यकता है कि समाज, तंत्र और जनप्रतिनिधि इन छात्राओं के सपनों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो।

एआईएसएफ के राज्य परिषद सदस्य अक्षय कुमार ने कहा कि सरकार अगर अपने हीं फैसले को लागू नहीं करा पाती है तो होली के बाद एआईएसएफ चारणवद्ध आंदोलन के लिए विवश होगा।

पटना वीमेंस काॅलेज से पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ की कौसिंल मेंबर संध्या कुमारी ने कहा कि पितृसत्तामक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार अपने ही आदेश का पालन नही करा रही है ताकि छात्राएं उच्च शिक्षा लेकर तार्किक नही बन पाए।

जनशक्ति भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एआईएसएफ के नेताओं ने पूरी जानकारी को सार्वजनिक किया। मौके पर एआईएसएफ के राज्य अध्यक्ष रंजीत पंडित एवं पीयू उपाध्यक्ष समृद्धि सुमन मौजूद थे।

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