अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स में 84 वर्ष की बुजुर्ग महिला मरीज की हुई सफल हिप सर्जरी
ऽ अधिक उम्र और ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित होने के कारण चुनौतिपूर्ण थी सर्जरी – डॉ आशीष सिंह
ऽ नई तकनीक से हुई सर्जरी के 24 घंटे बाद ही मरीज खड़ी हो गयी
ऽ वाणिज्य महाविद्यालय की सेवानिवृत प्रोफेसर हैं मरीज डॉ विमला सिन्हा
पटना (जागता हिंदुस्तान) अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स पटना में पिछले दिनों डॉ आशीष सिंह के नेतृत्व में डॉक्टरों ने 84 वर्ष की महिला मरीज की सफलता पूर्वक हिप सर्जरी की है। सबसे खास बात यह रही कि नई तकनीक से हुई इस सर्जरी के 24 घंटे बाद ही मरीज खड़ी होने में कामयाब रही हैं। मरीज अब पूरी तरह से ठीक हैं और अस्पताल से उन्हें छुट्टी मिल गई है।
वाणिज्य महाविद्यालय की सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ विमला सिन्हा को 84 वर्ष की उम्र में हिप में फ्रैक्चर की शिकायत हो गई थी। उन्हें यह फ्रैक्चर बेड पर करवट बदलने के क्रम में हुआ था। ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी के कारण उनकी हड्डियां खोखली और कमजोर हो चुकी थी जिसके कारण उन्हें यह समस्या हुई थी।
इस जटिल सर्जरी के बारे में अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स के डायरेक्टर और आर्थोपेडिक्स सर्जन डॉ आशीष सिंह कहते हैं कि अधिक उम्र और ऑस्टियोपोरोसिस के कारण यह सर्जरी चुनौतीपूर्ण होती है। हमारे अस्पताल में आर्थोपेडिक्स से जुड़ी विश्व की आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल होता है। नई तकनीक और अपने पूर्व के लंबे अनुभव के कारण सफलता पूर्वक यह सर्जरी कर पाया।
डॉ आशीष सिंह ने इंग्लैंड से एमसीएच की उच्च शिक्षा हासिल की है और वहां उन्होंने घुटने और हिप की जटिल सर्जरी काफी संख्या में की है। अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स में भी वे हजारों की संख्या में आर्थोपेडिक्स सर्जरी कर चुके हैं।
लंबे समय से बिस्तर पर थी मरीज
मरीज लंबे समय से बिस्तर पर थी और परिवार के लोग उनकी दैनिक दिनचर्या में हो रही असहनीय पीड़ा को देखकर काफी चिंतित थे। अमेरिका में रहने वाली बेटी जया प्रियदर्शी एवं उनके पुत्र और सुप्रीम कोर्ट में वकील कन्हैया प्रियदर्शी अपना- अपना काम छोड़कर मां की देख- रेख के लिए पटना आ गये थे। परिजन दिल्ली से लेकर अमेरिका तक उनके ऑपरेशन के लिए पता कर रहे थे।
मरीज की बेटी जया प्रियदर्शी कहती है कि इसी बीच हमें सौभाग्य से पटना में ही वर्ल्ड क्लास की सुविधा देने वाले अस्पताल अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ अर्थोपेडिक्स (।प्व्त्) के बारे में पता चला। हमलोगों ने डॉ. आशीष सिंह की पूरी प्रोफाइल पढ़ी और उनपर विश्वास किया। इसका उम्मीद से भी बेहतर परिणाम सामने आया है।
ऑपरेशन के बाद मरीज ने मनाई शादी की 57वीं सालगिरह
जया प्रियदर्शी कहती हैं कि मां ऑपरेशन के कुछ ही दिन बाद जब अपनी शादी की 57वीं सालगिरह मना रही थी तो पूरे परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं था। सब की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। वे बताती हैं कि इस मौके पर मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ अर्थोपेडिक्स (।प्व्त्) के बारे में फेसबुक पोस्ट किया ताकि देश- दुनिया में रह रहे लोगों को इसके बारे में पता चल सके और लोगों को इसका लाभ मिल सके। मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि मां को दूसरे बुजुर्गों कि तरह अब बुढ़ापा बिस्तर पर नहीं बिताना होगा, वह फिर से चल सकती है।
सर्जरी से पहले डरा हुआ था परिवार
जया प्रियदर्शी कहती हैं कि जब हम डॉ आशीष सिंह से मिले तब हमें फ्रैजिलिटी फ्रैक्चर बीमारी का पता चला जो कि उम्र बढ़ने के साथ लोगों में होती है। उन्होंने हमें सर्जरी करने की सलाह दी। इतनी अधिक उम्र में सर्जरी सफल हो पाएगी या नहीं इसे लेकर हम चिंतित थे। सर्जरी से पहले हम सभी डरे हुए थे लेकिन डॉ आशीष सिंह पर भरोसा था। आज मां को खड़ा होते देख जो खुशी हो रही उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। बस इतना ही कहना चाहती हूं कि पटना के अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स में हड्डी से संबंधित बीमारियों का दिल्ली, मुंबई और अमेरिका की तरह विश्व स्तरीय इलाज उपलब्ध है।