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पलटवार : सूखा भात दिए जाने की अफवाह फैलाने वाले, मेवे का पैकेट देकर मजदूरों का करें सम्मान- सुशील मोदी

पटना (जागता हिंदुस्तान) लॉक डाउन के कारण विभिन्न राज्य में फंसे बिहारी श्रमिकों की घर वापसी का सिलसिला और इसके साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। इसी क्रम में बेंगलुरु से अररिया पहुंचे बिहारी श्रमिकों को सरकार द्वारा खाने के लिए सूखा भात, नमक और मिर्ची दिए जाने के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बयान को उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने झूठ करार दिया है।

उपमुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा है कि, जो लोग छात्रों-मजदूरों को वापस लाने के 2000 बस और 50 ट्रेन का किराया देने के लिए थैली दिखा रहे थे, वे बतायें कि श्रमिक स्पेशल से सकुशल लौटे मजदूरों की क्या मदद कर रहे हैं? राज्य सरकार स्टेशन पर भोजन पैकेट और पानी की बोतल देकर मजदूरों को सम्मान के साथ उनके गृह प्रखंड तक पहुँचाने की व्यवस्था कर रही है। जो लोग केवल सूखा भात दिये जाने का झूठ फैला रहे हैं, उन्हें सिर्फ फूल-माला नहीं, सूखे मेवे के पैकेट भेंट कर मजदूरों का स्वागत करना चाहिए।

इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, “माल-मिट्टी और बेनामी सम्पत्ति का शतांश भी मजदूरों के काम आ जाए, तो लालू परिवार के राजनीतिक पाप कटेंगे।”

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही वक्त पर लाकडाउन लागू किया, तो लोगों ने कठिनाइयों के बावजूद इसका पालन भी किया। गृह राज्यों से बाहर फँसे लाखों मजदूरों की घर वापसी की इच्छा और उनकी पीड़ा को देखते हुए प्रधानमंत्री के निर्देश पर सरकार ने फैसला बदला और शारीरिक दूरी का पालन करते हुए एक दर्जन से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेने चलाने की अनुमति भी दी। जब बड़ी संख्या में मजदूर सुरक्षित घर लौटने लगे, तब विपक्ष उनकी मदद करने के बजाय किराया वसूलने का भ्रम फैलाने लगा।

बता दें कि तेजस्वी यादव ने बेंगलुरु से अररिया के जोकीहाट लौटे बिहारी श्रमिकों को प्रशासन द्वारा खाना दिए जाने का वीडियो शेयर कर कहा है कि, “बेंगलुरु से चलकर बिहार पहुँचे मज़दूरों को सिर्फ़ सूखा भात, नमक और मिर्च देकर ख़ानापूर्ति की गयी। सरकार का ऐसा पशुवत बर्ताव देखकर मन व्यथित और दुःखी है। इससे शर्मनाक क्या हो सकता है जब सरकार अपने लोगों को एक वक्त का खाना ठीक से नहीं खिला सकती? क्या ग़रीबों का आत्मसम्मान नहीं होता?”

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