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Lockdown- बेरंग हुआ पान का कारोबार, भुखमरी की कगार पर दुकानदार और किसान- ललन

पटना (जागता हिंदुस्तान) लॉकडाउन के कारण विभिन्न व्यवसायों की तरह हर खास व आम के होठों की लाली बनने वाला पान का कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बिक्री नहीं होने के कारण पान की फसल खेतों में ही सड़ कर बर्बाद हो रही है। आलम यह है कि जहां पान कारोबारियों को बड़ा नुकसान हो रहा है वहीं पान बेचने वालों और किसानों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है।

इस मामले को लेकर बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने सरकार से पान किसानों की अविलंब मदद करने की मांग की है। उन्होंने खासतौर पर परबत्ता विधान सभा क्षेत्र एवं नवादा जिले के तमाम पान से जुड़े किसान एवं व्यापारी तथा अन्य प्रकार के किसानों की बदहाली को सुदृढ़ करने के लिए पूरे बिहार प्रदेश के सभी किसान की अविलंब आर्थिक मदद करने का सरकार से आग्रह किया है। इतना ही नहीं, मांगे नहीं मांगी जाने पर युवा कांग्रेस नेता ने आमजनों के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर समय रहते पान किसान एवं पान से जुड़े व्यापारीयों की सरकार द्वारा आर्थिक मदद नहीं की गई तो पान से जुड़े किसान, व्यापारी के परिवार की स्थिति भूखमरी के कगार पर पहुंच जायेगी।

बता दें कि बिहार के मगही पान की डिमांड देश-विदेश में है। मगही पान की खेती मुख्यत: नवादा जिले के हिसुआ, नारदीगंज, पकरीबरावां आदि प्रखंडों एवं खगडिय़ा जिले के परवत्ता विधानसभा के कुलहाडिय़ा, तेहाय, झंझरा, मुष्कीपुर, पसराहा, वैसा, बन्देहरा जैसे अनेकों गाँवों में होती है।

क्या कहते हैं किसान और व्यापारी-

हिसुआ प्रखंड के तुंगी बेलदारी के पान किसान सुरेन्द्र चौरसिया बताते हैं कि लॉकडाउन में बिक्री नही होने के चलते पान की फसल खेतों में ही पड़ी रह गई, जो अब सडक़र बर्बाद हो रही है। कुल्हाडिय़ा गाँव के पान किसान अरविन्द तिवारी, बन्देहरा के पान किसान धर्मेन्द्र चौरसिया एवं सलारपुर गांव के पान व्यापारी चन्दन यादव के बताते हैं कि लॉकडाउन में बिक्री नहीं होने के चलते पान की फसल खेतों में हीं पड़ी रह गई जो अब सडक़र बर्बाद हो रही है। यहां तक की लॉकडाउन में पान की गुमटी भी बंद हो गई, जिससे उनका कारोबार ठप हो गया।

पान गुमटी संचालक सुरेन्द्र चौरसिया बताते हैं कि वे पिछले 30 सालों से इस कारोबार से जुड़े हैं। यह पहला अवसर है जब इतने दिनों तक गुमटी बंद करनी पड़ी है। बिक्री बंद होने से आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। लॉकडाउन से पूर्व पान की ढोली मंगाई थी। एकाएक दुकान बंद करने से ढोली तो सड़ चुकी, लेकिन विक्रेता को उसका भुगतान करना पड़ेगा। इस तरह उन्हें भी दोहरी मार झेलनी पड़ी है। आमदनी बंद हुई और सड़ चुके पान के पैसे भी भुगतान करने पड़ेगे।

पान व्यापारी चन्दन यादव बताये कि लाखों रूपये का पान खरीद कर गोदाम में हीं फंसा रह गया जिसके कारण दोहरी मार से कमर हीं टूट गई है। पान की खेती एवं पान का व्यापार ही आजीविका का मुख्य साधन है लेकिन इस साल तो आमदनी की कोई उम्मीद नहीं बची है। खेती के लिए लिया गया कर्ज चुकाना भी पहाड़ साबित होगा। सरकार से मांग है कि इसकी क्षतिपूर्ति हो, ताकि पान से जुड़े व्यापारी एवं किसान पुन: रोजगार कर सकें। बांस, एरकी, पुआल आदि की खरीदारी करनी पड़ती है। पूंजी के अभाव में अलावा यह सब खरीदना मुश्किल हो रहा है, पर इस खेती के अलावा कोई अन्य विकल्प भी नहीं है।

पान के चर्चे जहां फिल्मों में होते हैं वहीं इसका ज़िक्र किस्से-कहानियों में भी मिलता है। पान की लाली हर महफिल की शान होती है।

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