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बाहर फंसे बिहारियों को सरकार ने मरने के लिए छोड़ दिया है- तेजस्वी यादव

पटना (जागता हिंदुस्तान) लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्य में फंसे बिहारियों के मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि, “17 लाख अप्रवासी बिहारी जहाँ फँसे है वहाँ की सरकारें उन्हें भेजना चाहती है लेकिन बिहार सरकार उन्हें लाना नहीं चाहती।क्या राज्य ने उन्हें मारने के लिए छोड़ दिया है? क्या यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नहीं है? वही नेता प्रतिपक्ष ने आगे लिखा कि नीतीश जी के MP VIP पास लेकर दिल्ली से बिहार पहुँच सकते है लेकिन मज़दूर नहीं।

इससे पहले तेजस्वी यादव ने लिखा, “जो मुश्किल में घर से दूर है वह बिहार का मज़दूर है। वीआईपी पास हटाओ, मज़दूरों को वापस लाओ।

इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार सरकार के प्रवासी मज़दूरों को राहत पहुँचाने संबंधित दावे की वास्तविकता और खंडन प्रतिदिन खुद फँसे हुए ग़रीब मज़दूर कर रहें है। हर रोज़ के अख़बार, टीवी, सोशल मीडिया इत्यादि पर इनकी सैकड़ों आपबीती और व्यथा की खबरें मिलती हैं। अगर सरकार वाक़ई मदद कर पा रही है तो फिर ये कौन लोग हैं?

अगर मान लें कि प्रत्येक ज़िले से कम से कम 30 हज़ार लोग बिहार से बाहर मज़दूरी/नौकरी कर रहें तो पूरे राज्य से तक़रीबन 11.40 लाख लोग बाहर हैं। सरकार के दावे के मुताबिक़ तो इससे ज़्यादा लोगों को सहायता राशि मिल चुकी है फिर ये लोग क्यों गुहार लगा रहें है? इसका सीधा मतलब ये है कि इसमें भी गोलमाल है।

सहायता राशि के लिए सरकार ने “लाभार्थी का बैंक खाता बिहार का होना चाहिए” के रूप में‬ एक ऐसी शर्त रखी है जिससे ज़्यादातर लोग अभी तक वंचित हैं। जहाँ ये मज़दूर काम करते हैं उनके मालिक वहीं खाता खुलवा देते हैं तो अब बेचारे बिहार का खाता कहाँ से लायें? सरकार को इस शर्त को संशोधित करते हुए बिहार का आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड इत्यादि का विकल्प जोड़ना चाहिए ताकि जो इससे छूट गये है उनको भी ये सहायता राशि मिले।

इसके अतिरिक्त मैं सरकार से ये भी माँग करता हूँ की लॉकडाउन के दौरान बाहर में एकमुश्त दिए जाने वाले 1000 रूपया में 3-4 दिन से ज़्यादा का गुज़र बसर नहीं हो सकता इसलिए यह राशि अनिवार्य रूप से साप्ताहिक अंतराल पर देनी चाहिए।

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