Lockdown2 : बच्चों को घर पर ही मिल सके स्टडी मैटेरियल, निजी विद्यालयों को मोहलत दे सरकार- डॉ. डीके सिंह
पटना (जागता हिंदुस्तान) कोरोना महामारी को देखते हुए एवं इससे बचाव के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने के फैसले का बिहार पब्लिक स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन सराहना करती है। एसोसिएशन में कहा है कि लॉकडाउन के अवधि में भी कुछ आपातकालीन सेवाओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए चालू रखी गई है। उसी प्रकार बच्चों की पढ़ाई को आवश्यक मानते हुए बच्चे घर पर बैठे ही ऑनलाइन या दूरभाष के माध्यम से क्लास कर सकें। इसके लिए स्टडी मटेरियल एवं पुस्तकों की आवश्यकता बच्चों को है, जिसकी प्रतिपूर्ति की ज़िम्मेवारी विद्यालय एवं सरकार की भी है।
बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. डीके सिंह ने बिहार सरकार से यह अनुरोध किया है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जैसे अन्य आपातकालीन सेवाओं को चालू रखा गया है, उसी प्रकार बच्चों को स्टडी मैटेरियल एवं पुस्तक मुहैया कराने को आपातकालीन आवश्यक सेवा समझते हुए निजी विद्यालयों को निश्चित अवधि की अनुमति दी जाए। जहां पुस्तक विक्रेताओं की मदद लेकर, निजी विद्यालय सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए बारी-बारी से निश्चित समय अंतराल पर अभिभावकों को फोन कर बुलाएंगे एवं उन्हें पुस्तक मुहैया कराएंगे।
संगठन के उपाध्यक्ष डॉ. एसएम सोहेल ने कहा कि इस विधि से अभिभावकों को भी सुगमता प्रदान होगी। इससे लॉकडाउन के समय में भी बच्चे घर पर रहकर अपनी पढ़ाई कर पाएंगे।
संगठन के सह-सचिव प्रेम रंजन ने कहा कि ज्यादातर निजी विद्यालयों मे बच्चों की पढ़ाई को आवश्यक समझते हुए ऑनलाइन और दूरभाष के माध्यम से बच्चों की क्लास शुरू कर दी गई है। परन्तु पुस्तकों के अभाव के कारण पढ़ाई करने में बच्चों को असमर्थता हो रही है। हालांकि कुछ जिले के जिलाधिकारि द्वारा ऐसा आदेश जारी किया गया है कि विद्यालय बच्चों के घर-घर जाकर पुस्तक उपलब्ध कराएं। परन्तु संगठन का मानना है कि घर-घर जाकर पुस्तक उपलब्ध कराने में कुछ बच्चों को तो पुस्तक उपलब्ध हो जाएगी परंतु ज्यादातर बच्चे पुस्तक प्राप्त करने से वंचित रह जाएंगे।लाखो बच्चों के मन मे असंतोष की भावना उत्पन्न हो जाएगी। घर-घर पुस्तक पहुंचाने मे हर बच्चों के घरों तक पहुंच पाना सम्भव भी नहीं है। इससे उथल पुथल जैसा महौल उत्पन्न हो जाएगा।
दूसरी बात यह भी है कि घर-घर जाकर पुस्तक पहुंचाने के लिए भी विद्यालय कार्यालय का खुलना आवश्यक है। कुछ विद्यालय ऐसे भी हैं जिनके पास खुद का वाहन नहीं है, कहीं वाहन है तो चालक उपलब्ध नहीं। मध्यम एवं निम्न वर्ग के विद्यालय घर-घर जाकर पुस्तक उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है। जिसके लिए संगठन यह मांग करती है कि जैसे बैंक, पोस्ट ऑफिस एवं अन्य जगहों को आपातकालीन सेवा समझते हुए खोला गया है। उसी प्रकार निजी विद्यालयों को भी पुस्तक उपलब्ध कराने के लिए निश्चित अवधि की अनुमति दी जाए इससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन भी होगा और बच्चों तक पुस्तक आसानी से उपलब्ध भी हो जाएंगे।