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क्वॉरेंटाइन सेंटर में मची है लूट, अधिकारियों की मिलीभगत से निकाला जा रहा चुनावी खर्चा- ललित सिंह

पटना (जागता हिंदुस्तान) केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज को लेकर विरोधी दल लगातार सरकार पर हमलावर हैं। इसी क्रम में वंचित समाज पार्टी के चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन ललित सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार का पैकेज बैंक द्वारा लोन देने जैसे है। सरकार 20 लाख करोड़ का लोन मेला लगा कर कह रही है आकर लोन ले लो।

ललित सिंह ने सवाल उठाया कि किसान मजदूरों को क्या मिला? अपने देश में मजदूर प्रवासी बनकर रह गया है। किसान देश का बहुत बड़ा शुद्धखोर बनकर रह गया है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को कुछ देना ही था तो वे अपने पदाधिकारी को निर्देश देते कि उनके फसल मुवावजे को संशोधन कर निर्धारित मूल्य को 72 घंटे के अंदर उपलब्ध करा दे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं से कहा कि नून -रोटी खाकर अपने घरो में रहें, क्योंकि सरकार रोजगार उपलब्ध कराने नहीं जा रही है।

ललित सिंह ने कहा कि लॉकडाउन का हवाला देकर एक झटके मे रोजगार खत्म दिया गया। क्वॉरेंटाइन सेंटर पर धांधली मचा हुआ है। प्रत्येक सेंटर पर 2,499 रूपये प्रति व्यक्ति खर्च दिया गया है। वहां पदाधिकारी की मिलीभगत से मजदूरों पर न खर्च कर 1200-1200 रूपये लूट मचा कर चुनाव का खर्च निकाला जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों मे चेतावनी देते हुए कहा कि 1977 की तरह जनता आंदोलन करने के मूड में है। जनता कहेगी की गद्दी छोडो नीतीश सरकार की जनता आती है।

उन्होंने किसानी के प्रति आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि खर्चा प्रति हेक्टेयर कम से कम ₹ 25000 रु. औसत उपज भारत सरकार के देश भर के पैदाइश के आंकलन के हिसाब से 29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। हेक्टेयर में गेहूं उपज का कुल मूल्य, एमएसपी के हिसाब से कम-से-कम 1925×29= ₹ 55,825 – 25000 खर्च = ₹ 30,825 प्रति हेक्टेयर। सरकार की ओर से सहायता की कुल देय राशि ₹1000/- 4 एकड़ तक वालों को यानी अधिकतम ₹ 625/-प्रति हेक्टेयर प्रति किसान। 4 एकड़ को हेक्टेयर में परिवर्तित करने पर 1.6 हेक्टेयर होता है। अब ₹1000 को 1.6 से विभाजन करने पर ₹ 625/- प्रति हेक्टेयर ही तो आएगा। नुकसान ₹ 25000+ 5 महीने का सूद ₹ 1प्रति सैकड़ा प्रति माह ×5= ₹1000। कुल योग ₹ 26000/- और मेहनताना अलग। तात्पर्य यह कि एक हेक्टेयर में किसानों का न्यूनतम घाटा मेहनताना समेत लगभग ₹ 28,000/-। 4 एकड़ यानी 1.6 हेक्टेयर पर घाटा बराबर ₹ 44,800 परन्तु मुआवजा मात्र ₹ 1,000/- 1.6 हेक्टेयर तक किसानों को। इसे ही कहते हैं ऊंट के मुंह में जीरा का फोड़न।इससे तो बेहतर होता कि सरकार करोना वायरस युद्ध निधि में यह राशि जमा करवा लें।
जहां सत्यानाश वहां सवा सत्यानाश ही सही।

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