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कृषि के क्षेत्र में अभी और काम करने की जरूर- नीतीश कुमार

पटना (जागता हिंदुस्तान) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में राज्य के कृषकों एवं कृषि प्रक्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान 27 किसान प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी समस्याएं एवं सुझाव रखे। भागलपुर के अशोक कुमार चौधरी ने हॉर्टिकल्चर, मुजफ्फरपुर के सतीश द्विवेदी ने हॉर्टिकल्चर, वैशाली के अनुराग कुमार ने केले के उत्पादन, किशनगंज के नागराज नकद ने ड्रैगन फ्रूट, औरंगाबाद के शिकेंद्र कुमार वर्मा ने स्ट्रॉबेरी, मोकामा के ओमप्रकाश सिंह ने दलहनी फसल, बरबीघा के विनोद कुमार ने भी दलहनी फसल से संबंधित सुझाव दिए। किशनगंज के राजकरण दफ्तरी के प्रतिनिधि के रुप में उनके पुत्र मनीष दफ्तरी ने चाय उत्पादन, पूर्वी चंपारण के दिनेश कुमार मिश्रा ने सुगंधित पौधों एवं फूलों की खेती, जहानाबाद के महेश भगत ने फूलों की खेती, जमुई के राजकुमार ने जैविक खेती, महुआ के सब्जी उत्पादक सहकारी प्रतिनिधि के रुप में मनोज कुमार, रोहतास के मनोज कुमार ने धान-गेहूं के उत्पादन, अरेराज के अमित कुमार शुक्ला ने सब्जी उत्पादन, नालंदा के शिवमोहन प्रसाद ने मौसम के अनुकूल कृषि तथा भागलपुर के दिवाकर सिंह ने मौसम के अनुकूल खेती के संबंध में अपने विचार रखे। नवादा के नगीना चौरसिया ने मगही पान उत्पादन, लालगंज की मनोरमा सिंह ने मशरुम उत्पादन, मुजफ्फरपुर के दिलीप कुमार ने मधुमक्खी पालन, पूर्णिया के सुनील महालदार ने मखाना उत्पादन, मुजफ्फरपुर के राकेश कुमार कश्यप ने अंडे एवं मछली के लेयर फार्मिंग, किशनगंज कृषि कर्मण पुरस्कार विजेता मदन सिंह ने मक्का उत्पादन, पश्चिम चंपारण के आनंद सिंह ने गन्ना उत्पादन, बगहा के राजकुमार ऊर्फ छोटे श्रीवास्तव ने गन्ना उत्पादन, पूर्णिया के शशि भूषण सिंह ने सब्जी की खेती एवं नवगछिया (भागलपुर) के पवन कुमार ने फूलों की खेती से संबंधित अपने विचार रखे।


बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की बैठक में किसानों के माध्यम से कई महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं। साथ ही इस क्षेत्र में आ रही समस्याओं से भी अवगत होने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि हमलोग पहले भी किसानों से संवाद करते रहे हैं, उनकी समस्याएं भी सुनते रहे हैं। कृषि रोड मैप का निर्माण करने के दौरान कृषि क्षेत्र के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें आयोजित की गई थीं। उद्यमी पंचायत का आयोजन कर बिहार के उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी बैठक की जाती रही है। कृषि रोडमैप के लागू होने से कृषि के क्षेत्र में सफलता मिली है। राज्य में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी है लेकिन कृषि के क्षेत्र में अभी और काम करने की जरूरत है। लोगों की इच्छाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं। आज की बैठक में ज्यादातर प्रतिनिधियों में कम उम्र के लोग हैं। युवाओं में कृषि के प्रति बढ़ती रुचि का यह संकेत एक बड़ी बात है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के 89 प्रतिशत लोग गांव में निवास करते हैं, जिसमें 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। गांव में लोगों की सुविधाओं के लिए काम किए जा रहे हैं। हर घर बिजली उपलब्ध करा दी गई है। हर घर तक पक्की गली-नाली का निर्माण कराया जा रहा है। सभी गांव एवं टोलों को पक्की सड़कों से जोड़ा जा रहा है। किसानों की स्थिति बेहतर हो, उनकी आमदनी बढ़े इसके लिए हमलोगों ने कृषि रोडमैप में कई बिंदुओं को प्राथमिकता में रखा है। अगर कृषि को बढ़ावा देना है तो गांव तक पहुंच पथ जरुरी है। इसको ध्यान में रखते हुए हमलोगों ने आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाया है। ग्रामीण पथ को बेहतर बनाने के साथ-साथ बेहतर रखरखाव के लिए काम किया जा रहा है। फसलों की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए उत्तम क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जर्दालु आम और शाही लीची राज्य सरकार की तरफ से विशिष्ट लोगों को भेजकर इसकी विशिष्टता से अवगत कराया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किशनगंज के एग्रीकल्चर कॉलेज में ड्रैगन फ्रूट एवं अन्य विशिष्ट किस्मों की फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए डायरेक्ट लिंक कराये जाने की आवश्यकता है। लेमन ग्रास का उत्पादन बढ़ाने से घोड़परास की समस्याओं से भी निजात पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिये प्रेरित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि मगही पान उत्पादन को प्रोत्साहित और मशरुम की खेती को और प्रचारित किए जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि नाॅबेल विजेता जोसेफ स्टिगलिट्ज एक बार बिहार के नालंदा जिले में जैविक खेती को देखकर इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने कहा था कि बिहार के किसान एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट से ज्यादा काबिल हैं। बिहार में अंडे के उत्पादन को यहां के खपत के अनुरुप और बढ़ाना है। हमलोगों का सपना है कि हर हिंदुस्तानी की थाल में एक बिहारी व्यंजन हो। गंगा किनारे के 13 जिलों में जैविक खेती की शुरुआत की गई है। जमुई जिले के क्षेत्रों को भी जैविक खेती से लिंक करने का सुझाव दिया। जलवायु में परिवर्तन को देखते हुए 08 जिलों में मौसम के अनुकूल फसल चक्र की शुरुआत की गई है, जिसका विस्तार बाद में सभी जिलों में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की गई है, जिसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया है। अगले तीन वर्षों में इस अभियान पर 24 हजार 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। जल-जीवन-हरियाली अभियान के अन्तर्गत जल संरक्षण के लिए 07 अवयवों पर, पौधारोपण के लिए एक अवयव पर, कृषि के लिए एक अवयव तथा ऊर्जा के लिए एक अवयव शामिल हैं। इसके अलावा एक अवयव सतत् अभियान चलाने का है। हाल हीं में जल-जीवन-हरियाली अभियान के पक्ष में 05 करोड़ 18 लाख लोगों ने मानव श्रृंखला बनायी थी। पर्यावरण संरक्षण के लिए इससे एक बेहतर संदेश सभी लोगों के बीच बिहार से गया है। हमलोगों ने तय किया है कि हर महीने के पहले सप्ताह के मंगलवार के दिन एक घंटे पर्यावरण संरक्षण से संबंधित चर्चा होगी। उस चर्चा से हमलोगों को फीडबैक मिलेगा जिस पर आगे भी हमलोग काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में टाल क्षेत्र से संबंधित फसलों के उत्पादन पर चर्चा तो हुई ही साथ ही चैर इलाकों के कुछ क्षेत्रों में आईडियल मॉडल के रुप में कार्य किए जा रहे हैं जिसे ज्यादा से ज्यादा चौर क्षेत्रों में लागू कर किसान इससे लाभान्वित हो सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि, सहकारिता, पशु-मत्स्य संसाधन, उद्योग एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी किसानों से जुड़ी समस्याओं के लिए अलग से प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर उसकी तेजी से समाधान करेंगे। सहकारिता विभाग सब्जी उत्पादक सहकारी समिति को विकसित करने के लिए काम करे। कृषि रोडमैप में भी अगर और कुछ योजनाओं को शामिल करने की आवश्यकता होगी तो किसानों के हित के लिए किया जाएगा। किसानों को अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लिए आप सब के सुझावों से और जरुरत हुई तो अतिरिक्त कार्य योजना भी बनायी जा सकती है। केंद्र के द्वारा किसानों के हितों के लिए काम किए जा रहे हैं। साथ ही हमलोग बिहार में कृषि का अधिक से अधिक बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। किसानों की आमदनी बढ़े इसके लिए हमलोग काम कर रहे हैं। आज प्रतिनिधियों ने कुछ क्षेत्रों को कृषि क्षेत्र का दर्जा को प्राप्त करने के संबंध में भी अपना निवेदन दिया है और प्रतिनिधियों से भी बातकर इस संबंध में .षि विभाग व्यवहारिक रुप प्रदान कर सहयोग करें। हमारी कोशिश होगी की किसानों को अधिक से अधिक सहायता कर सकें।

बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, उद्योग मंत्री श्याम रजक, जल संसाधन मंत्री संजय झा, मुख्य सचिव दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव सहकारिता अतुल प्रसाद, प्रधान सचिव, वित्त एस. सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल, जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव कुमार हंस, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, कृषि विभाग के सचिव श्री एन. सरवण कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, कृषि विभाग के निदेश आदेश तितरमारे, निदेशक उद्यान नंदकिशोर, बामेति के निदेशक जितेंद्र प्रसाद, उद्योग विभाग के निदेशक पंकज कुमार सिंह सहित अन्य पदाधिकारीगण एवं कृषि प्रतिनिधिगण भी उपस्थित रहे।

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