HEALTH

ट्रॉमा को एक बीमारी की तरह देखना चाहिए, तभी रोकथाम संभव- डॉ. अभिषेक कुमार

पटना (जागता हिंदुस्तान) जयप्रभा मेदांता अस्पताल में इमरजेंसी एंड ट्रॉमा केयर के प्रभारी डॉ. अभिषेक कुमार के मुताबिक अन्य बीमारियों की तरह ट्रॉमा भी एक बीमारी है। इसमें अन्य बीमारियों की तरह कारक होते हैं, जैसे-एजेंट(गाड़ी), होस्ट(व्यक्ति) और परिस्थितियां (सड़क और स्थिति)। अभी तक यही समझा जाता है कि ट्रॉमा/एक्सीडेंट बदकिस्मती से हो जाता है तथा इसका कुछ नहीं किया जा सकता है। लेकिन जब हम इसे बीमारी के तौर पर देखेंगे तभी इसके विभिन्न कारणों को समझ पाएंगे तथा इसके रोकथाम एवं सही उपचार की बात करेंगे।

डॉ. अभिषेक के अनुसार कैंसर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप आदि से जाने चली जाती हैं। इसके बचाव के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर और समर्पित अस्पताल हैं। लेकिन अगर हम गहराई से समझे तो पता चलता है कि बीमारियां ज्यादातर 50 -60 वर्ष के बाद होती हैं। लेकिन ट्रॉमा को देखें तो सड़क दुर्घटना से होनेवाली मृत्यु और विकलांगता बाकी सब बीमारियों से कहीं ज्यादा है। हैरानी की बात है कि इसमें ज्यादा प्रभावित होने वाला वर्ग युवाओं का है। अत: अन्य बीमारियों की तरह इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हर रोज देश में 400 से अधिक लोग दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं।

अधिकतम मरीज को लाभ पहुंचाना लक्ष्य
जयप्रभा मेदांता अस्पताल के डॉ. अभिषेक के मुताबिक मौजूदा संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर अधिकतम मरीज की स्वास्थ्य परेशानी को दूर करना ही ट्रॉमा केयर का लक्ष्य होता है। इसके लिए हमें ट्रायज कांसेप्ट का पालन करना पड़ता है। भारत जैसे देश में ट्रॉमा के लिए समर्पित डॉक्टरों की बहुत कमी है। इसका इलाज टुकड़ों में तथा अलग-अलग डॉक्टरों के सहयोग से किया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब भारत में भी ट्रॉमा विशेषज्ञ (ट्रॉमा सर्जरी में एमसीएच) हैं जिससे ट्रॉमा का सही से एक निश्चित समय सीमा में इलाज किया जा सकता है।

ट्रॉमा और इमरजेंसी के अंतर्गत आनेवाली स्वास्थ्य समस्या: ट्रॉमा के अंतर्गत दुर्घटना, ऊंचाई से गिरना, उपद्रव(दंगा, गोली, चाकू से वार आदि), आपदा आदि आता है। वहीं इमरजेंसी अर्थात आपातकाल के अंतर्गत ब्रेन स्ट्रोक, छाती में दर्द, सांस फूलना, पेट में असहनीय दर्द, डायरिया, लगातार उल्टी, बेहोशी, असहनीय सिर दर्द आदि इमरजेंसी में आता है। अर्थात शरीर के कोई ऐसी समस्या जो गंभीर और एक्यूट हो वह इमरजेंसी के अंतर्गत आती है। इसमें डॉक्टर को तुरंत स्थिति का मूल्यांकन करना होता है। जरूरत के हिसाब से तुरंत सर्जरी भी करनी होती है।

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