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न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत प्रवासी मजदूरों को मिले 26 दिनों के हिसाब से मासिक वेतन- भाकियू

पटना (जागता हिंदुस्तान) भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने कोरोना काल में प्रदेश लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन अधिनियम के विहित प्रावधानों के अन्तर्गत 26 दिनों के हिसाब से मासिक वेतन का भुगतान करने मांग की है। ये मांग आज पटना में भारतीय किसान यूनियन (भानु) की कार्यकारणी बैठक में प्रमुखता से उठाई गई। बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह और राष्ट्रीय महासचिव अखिलेश कुमार मिश्र ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार गंभीर हो। कोरोना संकट में पुरी दुनिया ने देखा कि दूसरे राज्‍यों रह रहे बिहार के मजदूर कैसे बिहार आये।

उन्‍होंने इस बाबत बिहार के प्रवासी मजदूरों के समक्ष आ रही समस्याओं को सुलझाने के लिए बिहार सरकार के समक्ष कई सुझावों एवं मांगों को रखने का निर्णय लिया, जिसमें न्यूनतम वेतन अधिनियम के विहित प्रावधानों के अन्तर्गत प्रवासी मजदूरों को 26 दिनों के हिसाब से मासिक वेतन का भुगतान करने, ESIC के अन्तर्गत बीमा, पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड स्कीम के अन्तर्गत 100% भविष्य निधि में जमा पैसों का लाभ, मजदूरों को उनके मासिक वेतन का भुगतान सीधे उनके खाते में और मजदूरों की आय में वृद्धि के नवीनतम उपायों का सृजन प्रमुख है।

राष्ट्रीय महासचिव अखिलेश कुमार मिश्र उर्फ बबलू मिश्र ने पत्रकारों को बताया कि हम मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों के समक्ष उत्पन्न बीमारियों और भुखमरी की समस्याओं से तत्काल राहत दिलाने के लिए उनको आर्थिक मदद के साथ-साथ अनाज उपलब्ध करवाने की भी मांग करते हैं। उन्‍होंने कहा कि किसान-मजदूर 60 साल तक लोगों की सेवा करते हैं, मगर उन्‍हें कुछ नहीं मिलता। और जिस नेता को एक बार हम चुनते हैं, फिर वह हार जाता है। तब भी उसे पेंशन मिलता है। ये कहां का न्‍याय है। उन्‍होंने कहा कि राजनेता और उद्योगपति किसानों-मजूदरों को मक्‍खी समझते है। यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है। इसलिए हम मांग करते हैं कि मजदूरों-किसानों की मृत्‍यु पर एक करोड़ और पुलिस वालों के निधन पर 2 करोड़ मिले।

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