Lockdown : उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश को दिए 18 सुझाव, कहा- उम्मीद है कि ध्यान देगी सरकार
पटना (जागता हिंदुस्तान) लॉकडाउन के कारण विभिन्न छोटे काम धंधे के बंद होने के कारण रोज कमाने खाने वालों और मजदूर वर्ग के लोगों को हो रही समस्या को लेकर रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर 18 सुझाव दिए हैं।
उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा कि, “राज्य में 22 मार्च 2020 से लॉकडाउन है। इस दौरान राज्य की तमाम आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं और देश भर से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों को वापस आ रहे हैं। कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से यहां के किसान, मजदूर, दुकानदार और छोटे-मोटे काम करने वाले लोगों पर बड़ी मार पड़ी है, साथ ही एमएसएमई और दूसरे बड़े उद्यम चलाने वाले भी बहुत संकट में हैं। प्रवासियों के अपने घरों की ओर लौटने से रेमिटेंस का भी नुकसान हुआ है, साथ ही आने वाले दिनों में राज्य के सामने उनको रोजगार मुहैया कराने की बड़ी चुनौती होगी।”
कुशवाहा ने आगे लिखा कि, “अप्रैल महीने में राज्य की बेरोजगारी दर 46.6 फीसदी के साथ आज़ाद भारत में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है। सरकार ने इस साल 2.11 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था और अब केंद्र सरकार भी 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज ला चुकी है। इसमें राज्यों का भी पर्याप्त हिस्सा होगा। ऐसे में सरकार को राज्य की आर्थिक गतिविधियों को चलाने के लिए बडे आर्थिक पैकेज के साथ लोगों को राहत पहुंचाने का काम करना चाहिए। अगर अभी अपेक्षित कदम नहीं उठाये गए तो यह राज्य और पीछे चला जाएगा। हमारे लिए केंद्र सरकार से तत्काल विशेष राज्य का दर्जा मांगने का यह सही समय है। रालोसपा समझती है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए कुछ वर्ग को तुरंत राहत पहुंचाने की जरूरत है।
RLSP निम्नलिखित सुझावों पर अमल करने का निवेदन करती है:-
- राज्य के धोबी, लुहार, बढ़ई, दर्जी, रेहड़ी-पटरी और नाई का काम करने वाले परिवारों को पांच-पांच हजार रुपए दिए जाएं।
- सब्जी व फूल उत्पादकों को प्रति एकड़ 5,000 रुपए की राहत दी जाए।
- रोजाना हाट-बाजारों में सब्जी, फल, फूल, चूड़ी-लहठी व अन्य सामानों को बेचकर अपने परिवार का भरण- पोषण करने वालों को 5000/- प्रति परिवार दिया जाए।
- ऑटो-टैक्सी एवं ठेला-रिक्शा चलाकर गुजारा करने वाले परिवारों को भी 5,000 रुपए मुआवजा दिया जाए।
- संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कामगारों, कुशल व अकुशल श्रमिकों तथा खेतिहर मजदूरों को 5,000 रुपए की मदद दी जाए।
- हलवाई, कुम्हार, जुलाहा, बुनकर, बीड़ी बनाने वाले, ताड़ी बेचने वाले, सड़क किनारे जूता-चप्पल सिलने वाले, पान व चाय दुकान चलाने वाले प्रत्येक परिवार को भी पांच-पांच हजार रुपए दिए जाएं।
- कोविड-19 के दौरान कई अफवाह सोशल मीडिया पर फैला, इससे पॉल्ट्री फर्म चलाने वाले लोगों बहुत नुकसान हुआ। कई जगहों पर उनको जिंदा मुर्गियों को जमीन में दफन करना पड़ा। छोटे छोटे फर्म को भी लाखों में नुकसान हुआ। इन मुर्गीपालकों को कारोबार फिर से शुरू करने के लिए सब्सिडी के साथ वर्किंग कैपिटल लोन मुहैया कराया जाए।
- सोशल मीडिया में चले अफवाहों के कारण मछुआरों, मत्स्यपालकों, भेड़-बकरी पालकों व इनसे जुड़ें परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। इसीलिए इनके परिवारों को भी पांच-पांच हजार रुपये दिए जाएं।
- राज्य भर में काम करने वाले छोटे औद्योगिक इकाई यानी एमएसएमई, दुकानदार और व्यापारियों को तीन महीने के बिजली बिल पर मासिक फिक्स्ड चार्ज माफ किया जाए।
- राज्य भर के मॉल और बड़े रीटेलरों सहित बड़े उद्योगों के बिजली बिल के फिक्स्ड चार्जेज को कम से कम तीन महीने के लिए टाला जाए और उसे अगले एक साल के दौरान मासिक किस्तों में वसूल किया जाए।
- किसानों को कई जिलों में गेहूं इनपुट अनुदान नहीं मिल रहा है। आपको ज्ञात है कि जब गेहूं पकने का समय था, उन्हीं दिनों बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण फसलों को 25-30 फीसदी का नुकसान हुआ। साथ में, गेहूं का दाना भी ठीक से आकार नहीं ले पाया। इससे किसानों को बड़ा नुकसान हुआ। इसीलिए गेहूं किसानों को भी इनपुट अनुदान दिया जाए।
- लीची किसानों पर लॉकडाउन और मौसम की दोहरी मार पड़ी है। इस वर्ग को भी विशेष सहायता की जरूरत है और उनके नुकसान का आकलन कर उन्हें आर्थिक् सहयोग किया जाए।
- पांच एकड़ तक के मालिकाना हक वाले किसानों के 20,000 रुपए तक का कृषि ऋण माफ किया जाए।
- सभी तरह के यात्री बस और मालवाहक ट्रकों का पहिया लंबे समय से थमा हुआ और उनको इस अवधि का भी इन्सुरेंस और रोड टैक्स लग रहा है। ऐसे समय में सरकार न सिर्फ दो महीने का रोड टैक्स माफ करे, बल्कि इश्योरेंस कंपनियों से बात कर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के बीमा अवधि को भी तीन महीने बढ़ाया जाए।
- छोटे दुकानदारों के 20,000 रुपए तक के माइक्रो फाइनेंस ऋण का भुगतान राज्य सरकार करे।
- सरकार बैंकों के साथ एग्रीमेंट कर छोटी पूंजी वाले दुकानदारों, कारोबारियों को एक लाख रुपए तक बिना किसी कोलैटरल के वर्किंग कैपिटल मुहैया कराए।
- लॉकडाउन के दौरान भूख या किसी अन्य दुर्घटना के कारण मौत के शिकार मजदूरों के परिजनों को कम से कम 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाये।
- बिहार में गन्ना किसानों के बकाए का भी भुगतान अविलंब किया जाए।
बिहार में रोजगार, खेती और आर्थिक समस्या से निपटने के लिए तात्कालिक तौर पर उपरोक्त कदम उठाना आवश्यक है। हम उम्मीद करेंगे कि राज्य सरकार हमारे सुझावों पर ध्यान देगी और शीघ्रता से आवश्यक कदम उठाएगी।