विश्व टीबी दिवस : देश में हर साल टीबी से दो लाख लोगों की मौत- एशियन सिटी हॉस्पिटल
पटना (जागता हिंदुस्तान) विश्व टी.बी. (ट्यूबरक्युलोसिस) दिवस के मौके पर एशियन सिटी हॉस्पिटल, पटना के डॉ. अमिताभ बांका ने कहा है कि अपने देश भारत में एक अनुमान के अनुसार करीब दो लाख लोगों की मौत प्रति वर्ष टी.बी. से हो जाती है, इसलिए यह बीमारी देश के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। विश्व में टी.बी. के कुल मरीजों में से एक तिहाई मरीज भारत में पाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि केन्द्र सरकार यक्ष्मा उन्मूलन के लिए जोरशोर से कार्यक्रम चला रही है। इसमें टी.बी. की जांच से लेकर इलाज तक मुफ्त में किया जाता है। डॉट सेंटर पर मरीजों को दवा खिलाई जाती है। प्रत्येक बड़े निजी अस्पतालों में टी.बी. के उन्मूलन के लिए एक निक्षय मित्र बहाल किये गये हैं।
इस बीमारी के लक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि लगातार बूखार रहना, तीन हफ्तों से अधिक समय तक खांसी का रहना, बलगम में खून आना, वजन का घटना, रात में पसीना चलना इसके आम लक्षण माने गये हैं। यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है, लेकिन 30 फीसदी मामले में लंग्स प्रभावित होती है।
डॉ. अमिताभ बांका ने कहा कि यह बीमारी संक्रमित मरीज के खांसने, छीकने तथा बात करने से फैलती है। इसलिए टी.बी. के मरीजों को मास्क लगा के रहना चाहिए। इस बीमारी से बचाव के बारे में उन्होंने कहा कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की जरूरत होती है। इसके लिए संतुलित स्वास्थ्यकारी आहार लेने की जरूरत है।
इनमें अंडा, मछली, दाल, हरी साग-सब्जीयां शामिल रहनी चाहिए। इस बीमारी का इलाज छह महीने से लेकर डेढ़ साल तक चलता है। बीच में दवा छोड़ने, समय से और सही डोज नहीं लेने पर वह रेसिसटेन्ट हो जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। दवा नहीं खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जिनसे टी.बी. के बैक्टिरिया पुनः सक्रिय हो जाते हैं।