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आरसीपी के बचाव में उतरे डॉ. कन्हैया सिंह, कहा- जदयू में कुछ नेता राजनीतिक कालीदास बन रहे हैं

पटना । पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पर 9 साल में 40 बीघा जमीन खरीदने का आरोप लगने के बाद शिक्षाविद कन्हैया सिंह ने कहा कि जदयू में कुछ नेता राजनीतिक कालीदास बनकर पार्टी की छवि धूमिल कर रहे हैं। जेडीयू शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कन्हैया सिंह ने कहा कि आज तक किसी व्यक्ति ने ये आरोप नहीं लगाया है कि आरसीपी सिंह ने उससे किसी तरह का कोई पैसा या किसी दूसरे किस्म की कोई अवैध उगाही की है। आरसीपी सिंह खुद आईएएस रहे हैं। उनकी पुत्री आईपीएस हैं। पूरे परिवार की छवि बिल्कुल बेदाग रही है। उन पर ऐसे लोग आरोप लगा रहे हैं जिनके कारनामे जगजाहिर हैं। आरसीपी सिंह तीन दशक तक नीतीश कुमार के साथ रहे। चाहे नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री रहें हों या फिर बिहार के मुख्यमंत्री। ये तो नीतीश कुमार को बताना चाहिये कि क्या उनके प्रधान सचिव रहते आरसीपी सिंह भ्रष्टाचार कर रहे थे।

कन्हैया सिंह ने नीतीश कुमार से सीधा सवाल पूछा है कि आरसीपी बाबू पर भ्रष्टाचार का किसी ने कोई आरोप नहीं लगा है लेकिन करोड़ों रुपए लेकर टिकट बेचने के आरोपी उपेंद्र कुशवाहा किस नदी में नहाकर स्वच्छ हो गये हैं। क्या उपेंद्र कुशवाहा को इसलिए जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है कि वे पैसा वसूली कर और अवैध संपत्ति अर्जित कर सकें।

कन्हैया सिंह ने कहा है कि तीन साल पहले 2019 में उपेंद्र कुशवाहा के सबसे करीबी माने जाने वाले व्यक्ति ने सबूत के साथ उनकी घूसखोरी की पोल खोली थी। 2019 में मीडिया के सामने प्रेस कांफ्रेंस कर रालोसपा के महासचिव प्रदीप मिश्रा ने उपेंद्र कुशवाहा के पैसा वसूली की पोल खोली थी। प्रदीप मिश्रा ने कहा था कि टिकट देने का आश्वासन देकर उपेंद्र कुशवाहा ने उनसे 90 लाख रुपये लिए थे, लेकिन बाद में इस सीट को ज्यादा पैसों में बेच दिया।

शिक्षाविद कन्हैया सिंह ने कहा कि 2019 में प्रदीप मिश्रा नाम के शख्स ने उपेंद्र कुशवाहा की पैसा वसूली का पूरा सबूत दिया था। मिश्रा ने कागजातों के साथ ये बताया था कि चुनावी टिकट के लिए उन्होंने 45-45 लाख के दो चेक दो किस्तों में उपेंद्र कुशवाहा के स्टेट बैंक आॅफ इंडिया की नई दिल्ली स्थित पार्लियामेंट शाखा के खाते में जमा करवाए थे।

जेडीयू शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कन्हैया सिंह ने कहा है कि टिकट के लिए पैसा वसूली जैसे गंभीर आरोपों में फंसे उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू में लाकर संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. संसदीय बोर्ड का मूल काम चुनाव में टिकट देना होता है। क्या कुशवाहा को इसलिए जेडीयू के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है कि वे पैसा वसूली कर सकें और संपत्ति अर्जित कर सकें।

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