HEALTH

स्ट्रोक आने पर मरीज को जल्द अस्पताल में कराएं भर्ती, शुरुआती 3-4 घंटे होते हैं निर्णायक- पारस ग्लोबल हॉस्पिटल

दरभंगा (जागता हिंदुस्तान) मिथिलांचल क्षेत्र में कई उपलब्ध्यिां हासिल कर चुके पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा के इंस्टीचयूट आॅफ न्यूरोसाइंसेज में स्ट्रोक के इलाज तथा आई.सी.यू. को लेकर विशेष व्यवस्था मौजूद है। स्ट्रोक के इलाज के लिए यहां त्वरित काम करने वाली विषेशज्ञों की टीम के साथ अनेक तरह की मशीनें, उपकरण तथा सुविधाएं उपलब्ध हैं। स्ट्रोक एक ऐसी मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें शुरू के 3-4 घंटे में किया गया इलाज मरीज के जीवन के लिए निर्णायक साबित होता है। इस 3-4 घंटे की अवधि को मेडिकल भाषा में गोल्डेन पीरियड कहा जाता है। इस दौरान उसके इलाज के लिए आधुनिकतम आई.सी.यू. की आवश्यकता पड़ती है जो यहां मौजूद है। आई.सी.यू. में पूर्णतः प्रशिक्षित नर्सों के साथ न्यूरोलाॅजिस्ट की ड्यूटी मरीज की देखभाल के लिए लगी रहती है।

इंस्टीच्यूट आॅफ न्यूरोसांइसेज के न्यूरो सर्जन डाॅ. कनिष्क परमार एवं न्यूरोलाॅजिस्ट डाॅ. यासिन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि स्ट्रोक के मरीज को इलाज के बाद उसे फिजियोथेरोपिस्ट की जरूरत पड़ती है। इसके लिए फिजियोथेरेपिस्ट की यहां व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक को लेकर लोगों में जागरूकता जगाने की सख्त जरूरत है। स्ट्रोक आने के 3-4 घंटे के भीतर उसे हर हाल में लोग हाॅस्पिटल में भर्ती करायें। भर्ती में विलम्ब के कारण मरीज पर खतरा बढ़ सकता है। स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। पहला मष्तिष्क को खून की सप्लाई करने वाली नस में रूकावट के कारण स्ट्रोक आता है, जिसे इस्कीमिक स्ट्रोक कहते हैं जबकि दूसरे स्ट्रोक में मस्तिष्क को सप्लाई करने वाली नस फट जाती है, इसे ब्रेन हैमरेज कहते हैं। पहले वाले स्ट्रोक के इलाज के लिए दवा देकर नस में रूकावट को तोड़ा जाता है जिसे थ्रोम्बोलीसिस कहते हैं और ब्रेन हैमरेज छोटा होने पर उसे दवा से ठीक किया जाता है जबकि बड़ा होने पर आॅपरेशन कर खून के थक्के को तोड़ा जाता है। इसमें यह सदैव ध्यान रखना पड़ता है कि दिमाग पर इस आॅपरेशन का असर नहीं पड़ना चाहिए।

उन्होंने कहा कि न्यूरो आई.सी.यू. में स्ट्रोक के मरीज के इलाज के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट, कार्डियेक माॅनिटरिंग, फिजियोथेरेपी तथा ट्रेचेओस्तोमी की जरूरत होती है। ये सभी मशीनें और उपकरण यहां उपलब्ध हैं। इंस्टीच्यूट आॅफ न्यूरोसांइसेज के डाॅक्टरों की टीम लकवा, मनोवैज्ञानिक रोग, डीमेंसिया, मिर्गी, ब्रेन ट्यूमर तथा ब्रेन डैमेज के इलाज में कई उपलब्ध्यिां हासिल कर चुकी है। यहां साधारण से लेकर कई जटिल आॅपरेशन किये जा चुके हैं।

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